सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर की जेलों के मौजूदा ढांचे और क्षमता की मान्यता के लिए गठित की जाने वाली जिला स्तरीय समितियों के दायरे को बढ़ा दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इससे महिला कैदियों के संबंधित मुद्दों पर समग्रता से विचार किया जा सकेगा।
पीठ न्याय मित्र की महिला कैदियों से संबंधित अमानवीय स्थिति में सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने अपने आवेदन में बताया कि बंगाल में चार वर्षों में 62 बच्चों का जन्म हुआ और जन्म देने वाली अधिकतर महिला कैदी थीं।
राज्य में महिला जेलों या बैरक में केवल महिला कर्मचारी हैं और सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे हैं, यह सुनिश्चित किया गया है। पीठ ने कहा है कि अगर फिर भी कोई अमान्यता है, तो यह बहुत ही खतरनाक है।