प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका की हालिया यात्रा के दौरान 128 किलोमीटर लंबी महो-अनुराधापुरा रेलवे लाइन के लिए सिग्नलिंग सिस्टम का शुभारंभ किया। पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की ओर से अपने पड़ोसी देशों को दी गई सहायता और परियोजनाओं की लंबी सूची है। यह भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांतों के तहत क्षेत्रीय विकास में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्रीलंका में भारत ने इंडियन हाउसिंग प्रोजेक्ट (फेज 3) के तहत मध्य और उवा प्रांतों में बागान श्रमिकों के लिए लगभग 4,000 घर बनाए। 2022 में श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भारत ने एक बिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन दी। इससे श्रीलंका को भोजन, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात में मदद मिली। सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हुए पीएम मोदी ने 2015 में जाफना यात्रा के दौरान जाफना सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखी। 2022 में इसके उद्घाटन के बाद 2023 में श्रीलंका के लोगों को समर्पित किया गया।
नेपाल के साथ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है। मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन का उद्घाटन 2019 में किया गया था। यह दक्षिण एशिया की पहली सीमा पार पेट्रोलियम पाइपलाइन बनी। जून 2023 में सिलिगुड़ी-झापा पाइपलाइन और चितवन व झापा में दो ग्रीनफील्ड टर्मिनल के लिए समझौता हुआ। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अप्रैल 2022 में जयनगर-कुर्था-बरदिबास रेल लिंक का उद्घाटन किया।
जोगबनी-बिराटनगर रेल लिंक का माल ढुलाई खंड जून 2023 में शुरू हुआ, जबकि रक्सौल-काठमांडो रेल लिंक की अंतिम सर्वे रिपोर्ट तैयार हो रही है। व्यापार के लिए नेपालगंज, बिराटनगर और बीरगंज में एकीकृत जांच चौकियां (आईसीपी) विकसित की गई हैं।
2015 के भूकंप के बाद भारत ने एक बिलियन डॉलर की सहायता दी, जिसमें 250 मिलियन डॉलर अनुदान और 750 मिलियन डॉलर क्रेडिट लाइन के तौर पर शामिल थे। सोलु कॉरिडोर 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन (2022) और मोदी-लेखनाथ ट्रांसमिशन लाइन (2023) ने नेपाल में बिजली आपूर्ति में सुधार किया। नेपाल को स्वास्थ्य क्षेत्र में 200 किडनी डायलिसिस मशीनें और 50 रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम दिए गए।
बांग्लादेश में 270.2 करोड़ रुपये की लागत से बनी अखौरा-अगरतला रेल लिंक और मैत्री सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (2023) का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। खुलना-मोंगला रेल लाइन और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का निर्माण 285.24 करोड़ रुपये की लागत से किया गया। इसने ऊर्जा और कनेक्टिविटी में अहम योगदान दिया। आपात स्वास्थ्य सहायता के लिए 109 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस दी गईं।
म्यांमार में भारत ने व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया। 982.99 करोड़ रुपये की लागत से कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना इस दिशा में बड़ा कदम है। शिक्षा और अनुसंधान के लिए यांगून में म्यांमार इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और नेय पी ताव में कृषि अनुसंधान केंद्र को समर्थन दिया गया। हाल के भूकंप के बाद भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत 50 टन से अधिक मानवीय सहायता और आपदा राहत सामग्री भेजी।
भूटान के साथ भारत ने स्वास्थ्य और ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया। पीएम मोदी ने 2024 में 141 करोड़ रुपये की लागत से बने ग्यालत्सुएन जेत्सुन पेमा वांगचुक मां-बच्चा अस्पताल का उद्घाटन किया। 5,033.56 करोड़ रुपये की लागत से 2019 में शुरू होने वाली मंगदेछु जलविद्युत परियोजना भूटान के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत दी।