कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध मुद्दे पर भारत की प्रतिक्रिया पर अपने रुख में बदलाव को उचित ठहराया। बुधवार को थरूर ने कहा कि उन्होंने एक भारतीय के तौर पर अपनी राय रखी है और वह इसमें कोई राजनीति नहीं देखते। कांग्रेस नेता ने मंगलवार को स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के समय भारत के रुख का विरोध करने पर उन्हें शर्मसार होना पड़ा था। उन्होंने कहा कि जो नीति अपनाई गई, उसके कारण देश अब ऐसी स्थिति में है जहां वह स्थायी शांति के लिए बदलाव ला सकता है। थरूर ने इससे पहले रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के समय भारत के रुख की आलोचना की थी और इस आक्रमण की निंदा करने का आह्वान किया था।उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “मैंने एक भारतीय के तौर पर इस मामले पर बात की। मुझे इसमें कोई राजनीति नजर नहीं आती।” उन्होंने ज्यादा विस्तार से बताए बिना कहा कि यह कोई राजनीतिक दृष्टि से देखा जाने वाला विषय नहीं है।
इस बीच, केरल में भाजपा नेतृत्व ने थरूर के बदले रुख की सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की प्रशंसा करने में उनकी “ईमानदारी” “सराहनीय” है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने कहा कि वह हमेशा से कांग्रेस सांसद की स्पष्टवादिता की प्रशंसा करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिरुवनंतपुरम के सांसद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के वैश्विक उत्थान को देख रहे हैं और यह “वास्तव में एक जाता दृष्टिकोण” है। सुरेंद्रन ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, “प्रिय शशि थरूर जी, मैं हमेशा से आपकी स्पष्टवादिता का प्रशंसक रहा हूं। आपकी ईमानदारी से कहना कि ‘मैंने शुरू में इसका विरोध किया था’ और अब रूस-यूक्रेन पर मोदीप्लोमेसी की सफलता की प्रशंसा करना सराहनीय है। अपने कांग्रेस साथियों के विपरीत, आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत के वैश्विक उत्थान को देखते हैं, जो वास्तव में एक जाता दृष्टिकोण है!” थरूर ने मंगलवार को कहा कि संघर्ष छिड़ने के बाद भारत की ओर से अपनाई गई नीति का मतलब है कि देश के पास वास्तव में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो यूक्रेन के राष्ट्रपति और मास्को में रूसी राष्ट्रपति दोनों को दो सप्ताह के अंतराल पर गले लगा सकता है और दोनों जगहों पर उन्हें स्वीकार किया गया।
रायसीना डायलॉग में एक संवाद सत्र के दौरान पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा, “मैं अब भी अपने चेहरे से कलंक मिटा रहा हूं, क्योंकि संसदीय बहस में मैं एकमात्र व्यक्ति हूं, जिसने वास्तव में फरवरी 2022 में भारतीय रुख की आलोचना की थी।”