राज्यसभा ने सोमवार को रेलवे संशोधन विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा पिछले साल दिसंबर में ही इसे पास कर चुकी है। इसका उद्देश्य रेलवे बोर्ड के कामकाज और स्वतंत्रता को बढ़ाना है। वहीं विपक्ष ने सरकार पर बिल के जरिये रेलवे बोर्ड पर नियंत्रण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि वह संसदीय पैनल की जांच से बच रही है। बिल के अनुसार, रेलवे बोर्ड को 1989 के रेलवे अधिनियम के अंतर्गत शामिल किए जाने से बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति, योग्यता, कार्यकाल और मानदंड केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी। बिल में एक स्वतंत्र नियामक नियुक्त करने का प्रावधान भी शामिल है जो किराया निर्धारण जैसे मामलों की देखरेख करेगा और रेलवे की प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करेगा। बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे बोर्ड और रेलवे से जुड़े विधेयक को एकीकृत करने से रेलवे का विकास और कार्यदक्षता बढ़ेगी। विधेयक के माध्यम से कानूनी ढांचे का सरलीकरण होगा। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ पर सदस्यों की चिंताओं पर वैष्णव ने कहा कि निष्पक्ष जांच की जा रही है। सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कई उपाय लागू कर रही है। उन्होंने घटना के विवरण को छिपाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे बंद किए जाने के आरोपों को खारिज किया और कहा कि उन्होंने खुद सीसीटीवी फुटेज देखी है। अगर किसी दुर्घटना में एक भी व्यक्ति की जान चली जाती है, तो यह बहुत दुखद है। इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। दुर्घटना के बाद निर्णय लिया गया है कि 60 स्टेशनों पर स्थायी होल्डिंग एरिया बनाया जाएगा ताकि यात्रियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित किया जा सके।राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि जहां से मैं आता हूं, वहां श्रमशक्ति, श्रमजीवी, जनसाधारण जैसे ट्रेनों के नाम वहां की स्थिति को दर्शाते हैं। हमारे पास अब भी कोई वंदे भारत ट्रेन नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या रेलवे के लिए 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर नियमित कुलियों की जगह आउटसोर्स कुलियों को तैनात कर दिया गया। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि रेलवे अधिकारियों ने घटना का विवरण छिपाने के लिए सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए थे। रेल मंत्री ने इसका खंडन किया तो कई विपक्षी सांसद सदन से बहिर्गमन कर गए।