Monday, December 22, 2025

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स्कूलों में यहूदी विरोध की शिकायतों का निपटारे के आदेश पर रार

अमेरिका में 20 जनवरी को नई सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। चार साल के अंतराल के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में लौट आए हैं। सत्ता में वापसी के बाद डोनाल्ड ट्रंप आक्रामक अंदाज में नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने बीते कुछ दिनों में  कई देशों पर देरिफ लगाने की बात कही है, वहीं, ब्रिक्स देशों पर भी उन्होंने निशाना साधा है। वहीं, अब ट्रंप स्कूलों में यहूदी विरोधी भावना को निशाना बना रहे हैं। इसे लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। उन्हें डर है कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए जा रहे परिवर्तनों का प्रभाव सबसे अधिक काले छात्रों और विकलांग लोगों पर पड़ेगा।  दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर डेरेक डब्ल्यू ब्लैक का कहना है कि नागरिक अधिकार कार्यालय ने हमेशा से हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए काम किया है, लेकिन अब ट्रंप सरकार की प्राथमिकताएं बदल रही हैं। दरअसल, अमेरिका के स्कूलों में नागरिक अधिकारों को लागू करने वाले संघीय कार्यालय को आदेश दिया गया है कि वह यहूदी विरोध की शिकायतों का निपटारा सबसे पहले करे। क्योंकि यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एजेंडे में शामिल है। ट्रंप के इस आदेश के बाद यह डर पैदा हो गया है कि नस्ल और लिंग-भेद को बढ़ावा मिलेगा। नागरिक अधिकार कार्यालय (ओसीआर) कार्यवाहक सहायक सचिव क्रेग ट्रेनर के साथ फोन पर बात करने वाले एक सूत्र ने बताया कि ट्रंप के शिक्षा विभाग के ओसीआर ने इस सप्ताह कर्मचारियों से कहा कि उनसे यहूदी विरोधी भावना से जुड़ी शिकायतों का आक्रामक ढंग से निपटारा करने की उम्मीद की जाएगी।इसमें ट्रेनर ने कहा कि ओसीआर को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के शासनकाल की तुलना में अधिक आक्रामक और तेज़ होना चाहिए। उन्होंने पिछले प्रशासन पर यहूदी विरोधी भावना से लड़ने के अपने कर्तव्य की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। इसके चलते करीब 100 से अधिक मामलों का निपटारा नही हो पाया।  बता दें कि ट्रंप ने 7 अक्टूबर, 2023 को इस्राइल पर हमास के हमले के बाद दर्ज किए गए सभी यहूदी विरोधी मामलों की समीक्षा करने का आह्वान किया है। इसमें जो बाइडन के समय में  हल किए गए मामले भी शामिल हैं।

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