उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे को झूठे मामले में गिरफ्तार करने की साजिश रची गई थी। अब फडणवीस सरकार ने इस साजिश का पता लगाने के लिए शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, एमवीए के कई नेता जांच के दायरे में आ सकते हैं।महाराष्ट्र गृह विभाग की तरफ से जारी शासनादेश (जीआर) के अनुसार मुंबई पुलिस के संयुक्त आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी जांच दल का नेतृत्व करेंगे। इसके साथ ही, डीआईजी राजीव जैन, पुलिस उपायुक्त नवनाथ ढवले और एसीपी आदिक राव पोल को भी एसआईटी में शामिल किया गया है। सरकार ने इस जांच दल को 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। दिसंबर में नागपुर में हुए विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर ने फडणवीस और शिंदे की गिरफ्तारी की साजिश रचे जाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि मौजूदा मुख्यमंत्री (तत्कालीन विपक्ष के नेता) देवेन्द्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री (तत्कालीन शहरी विकास मंत्री) एकनाथ शिंदे के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश रची गई थी। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था।
भाजपा विधायक प्रवीण दरेकर ने विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में दावा किया था कि एमवीए सरकार के दौरान तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडेय ने देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे को झूठे अपराधों में फंसाने का दबाव बनाया था। तत्कालीन पुलिस उपायुक्त लक्ष्मीकांत पाटिल को इस मामले की जिम्मेदारी दी गई थी। व्यवसायी संजय पुनमिया ने इस मामले में स्टिंग ऑपरेशन होने का दावा किया है। फडणवीस सरकार ने इसी मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। इसलिए एसआईटी पूर्व डीजीपी संजय पांडेय की भूमिका की भी जांच करेगी।