Wednesday, March 12, 2025

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उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में मिलेगी मदद; रक्षा मंत्री ने की सराहना

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण मंगलवार को डीआरडीओ के भाग्यनगर स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) में किया गया। इस तकनीक से अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में बहुत मदद मिलेगी।  स्वदेशी रूप से विकसित इस तकनीक के जरिये डीआरडीएल ने भारत में पहली बार 120 सेकंड के लिए अत्याधुनिक एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कम्बस्टर ग्राउंड टेस्ट का प्रदर्शन किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को सफल स्क्रैमजेट इंजन ग्राउंड टेस्ट के लिए सराहा। उन्होंने कहा, यह उपलब्धि अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिशनों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वहीं रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने डीआडीएल टीम को सफल उन्नत थर्मल प्रबंधन परीक्षण करने के लिए बधाई दी। उन्होंने ने बताया, स्क्रैमजेट इंजन में इग्निशन (दहन) को ‘तूफान में मोमबत्ती जलाए रखने’ जैसा माना जाता है।  स्क्रैमजेट कंबस्टर में एक फ्लेम स्टेबिलाइजेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो 1.5 किमी/सेकंड से अधिक वायु गति के साथ कंबस्टर के अंदर निरंतर आंच बनाए रखती है। परीक्षण के दौरान फ्लेम होल्डिंग तकनीकों का अध्ययन ग्राउंड टेस्ट के माध्यम से किया गया, ताकि स्क्रैमजेट इंजन कॉन्फिगरेशन तक पहुंच सकें। स्क्रैमजेट इंजन हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करते हुए सुपरसोनिक गति पर ईंधन जलाने में सक्षम हैं। इनमें कोई मूविंग पार्ट्स नहीं होते।

स्क्रैमजेट इंजन ने इस टेस्ट के दौरान कई उपलब्धियां दिखाई, जैसे सफल इग्निशन और स्थिर कम्बशन। हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी एडवांस हथियार प्रणाली हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज यानी मैक 5 (5400 किमी प्रति घंटे) से भी अधिक रफ्तार से चलती हैं। ये मिसाइलें मौजूदा हवाई सुरक्षा प्रणालियों को चकमा देकर तेज और शक्तिशाली हमले कर सकती हैं। दुनिया के कई देश, जैसे अमेरिका, रूस, भारत और चीन, हाइपरसोनिक तकनीक पर तेजी से काम कर रहे हैं।

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