Wednesday, February 5, 2025

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हो जाइए खगोलीय घटना के साक्षी बनने के लिए तैयार

नए साल की शुरुआत हो चुकी है। मगर इसका शानदार स्वागत आज या कल एक खगोलीय नजारे के साथ होगी, क्योंकि क्वाड्रेंटिड्स (Quadrantids) नामक साल का पहला उल्कापात (meteor shower) तीन और चार जनवरी को अपने चरम पर पहुंचेगा।उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह के छोड़े गए कणों से गुजरती है, तो ये कण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और घर्षण के कारण जलने लगते हैं, जिससे आसमान में चमकती रोशनी की धारियां बनती हैं। इसे लोग ‘टूटते तारे’ के रूप में पहचानते हैं। क्वाड्रंटिड्स फिलहाल सक्रिय हैं, जो 16 जनवरी तक जारी रहेंगे। नासा के अनुसार, क्वाड्रेंटिड्स उल्का को उत्तरी गोलार्ध में सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है, जिसका अर्थ है कि वे भारत में विशेष रूप से रात और सुबह के समय दिखाई देंगे। इस नक्षत्रीय घटना को देखने के लिए आपको शहर या स्ट्रीटलाइट्स से दूर एक अंधेरे स्थान पर जाना चाहिए, फिर अपनी पीठ के बल लेटकर अपने पैरों को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें और ऊपर देखें।अंधेरे में 30 मिनट के अंदर आप इन उल्काओं को देखना शुरू कर देंगे। एकमात्र चुनौती यह है कि आपको धैर्य रखना होगा, क्योंकि यह उल्कापात सुबह तक जारी रहेगा। आपके पास इसे देखने के लिए पर्याप्त समय होगा। अगर किसी अंधेरी जगह पर जाना संभव नहीं है, तो आप पास के किसी प्लेनेटेरियम में भी जा सकते हैं जहां दूरबीनों का उपयोग करके खगोलीय घटना को देखा जा सकता है।
अधिकतम सक्रिय चार जनवरी को रात साढ़े आठ बजे के आसपास होने की उम्मीद है। यह रात और सुबह के समय तक जारी रह सकता है।

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