Wednesday, February 5, 2025

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ट्रंप-वेंस के फोन हुए टेप

अमेरिकी वित्त मंत्रालय की ओर से चीन प्रायोजित साइबर हमलों के दावों के मुताबिक चीनी हैकर्स ने वित्त विभाग (ट्रेजरी डिपार्टमेंट) ऑफिस को तकनीकी मदद देने वाली क्लाड आधारित सेवाओं तक सेंध लगा दी थी।कोषागार विभाग के सांसदों को लिखे पत्र के मुताबिक, हैकरों के हाथ वह की (विशेष कोड) लग गया जिसका इस्तेमाल क्लाउड आधारित सेवाओं को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था। इस सुरक्षा प्रणाली का नाम गार्डरेल है। हैकर्स इन सेवाओं की सुरक्षा में सेंध लगाकर दूर किसी देश में बैठकर आसानी से ट्रेजरी डीओ के वर्कस्टेशनों को देख सकते थे तथा उनके दस्तावेजों तक भी पहुंच सकते थे। चीनी हैकर्स इससे पहले अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों की दूरसंचार कंपनियों व एजेंसियों में भी सेंध लगा चुके हैं। अक्तूबर के अंत में इन हैकर्स ने डोनाल्ड ट्रंप और उनके साथी जेडी वेंस के फोन को भी निशाना बनाया था। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के कैंपेन में काम करने वालों के भी फोन की जासूसी की गई थी। एफबीआई और साइबरसिक्योरिटी एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सिसा) ने दावा किया है कि इन हैकर्स की कमान चीन के हाथों में है।  एफबीआई के मुताबिक दूरसंचार कंपनियों के सिस्टम में सेंध लगाने वालों के निशाने पर अकेला ट्रेजरी डिपार्टमेंट नहीं था। हैकर कानून प्रवर्तन एजेंसियाें व उनसे जुड़े लोगों के भी फोन सुन रहे थे। इसके जरिये चीन यह पता लगा रहा था कि अमेरिका किन विदेशी जासूसों की निगरानी कर रहा है। हाल ही में, अमेरिका की दो सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों, एटीएंडटी और वेरिजॉन ने भी स्वीकार किया कि वे चीन से जुड़े साल्ट टाइफून साइबर जासूसी ऑपरेशन के निशाने पर थीं। 7 अन्य शीर्ष दूरसंचार फर्मों को भी हैकरों ने निशाना बनाया था।बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार कंपनियों पर चीन प्रायोजित साइबर हमलों में लाखों अमेरिकी नागरिकों का डाटा भी दांव पर था। यही नहीं चीनी प्रायोजित हैकर्स के निशाने पर ब्रिटेन के चुनाव और न्यूजीलैंड के सांसद भी थे। इन हैकर्स की मदद से चीन उन शक्तिशाली व्यक्तियों से जुड़ा डाटा हासिल करना चाहता था। हालांकि, चीन ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।

 

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