वन भूमि हस्तांतरण कराने में इंजीनियरों के पसीने छूट रहे हैं। हारकर यह काम अब रिटायर हो चुके भारतीय वन सेवा के अधिकारियों (आईएफएस) को सौंपा जा रहा है। विभाग का मानना है कि पूर्व आईएफएस अधिकारी भूमि हस्तांतरण के कायदों की समझ रखते हैं इसलिए सड़कों को वनीय स्वीकृति मिलने में आसानी होगी।वन विभाग की विकास योजनाओं में वन भूमि की जरूरत होती है। वन भूमि हस्तांतरण में कई चरण होते है। इसमें डीएफओ स्तर से होते हुए देहरादून और फिर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तक प्रस्ताव पहुंचता है। स्टेज-एक और स्टेज-दो की अनुमति मिलती है। यह भी सशर्त होती है। इसमें क्षतिपूरक वनीकरण के लिए दोगुनी भूमि के साथ एनपीवी जमा करना तक होता है।वन अधिनियम की शर्ताें को समझते हुए प्रस्ताव को तैयार करने के साथ प्रस्ताव को तैयार करने में कई बार तकनीकी समस्या आती है। ऐसे में वन विभाग ने वन भूमि हस्तांतरण के मामले में गति देने के लिए अनुबंध के आधार पर वन भूमि हस्तांतरण अधिकारी तैनात करने का फैसला किया है।