Sunday, December 21, 2025

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ये हमारी लड़ाई नहीं : डोनाल्ड ट्रंप

सीरिया में आंतरिक संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है और वहां विद्रोही गुट राजधानी दमिश्क में दाखिल हो गया है। इस बीच सभी की निगाहें अमेरिका पर टिकी हैं कि वह इस स्थिति में क्या कदम उठाता है। हालांकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान कर दिया है कि यह हमारी लड़ाई नहीं है और अमेरिका को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ‘सीरिया में बहुत गड़बड़ी है, लेकिन वह हमारा दोस्त नहीं है। अमेरिका को इससे कोई मतलब नहीं है। ये हमारी लड़ाई नहीं है। हमें इसमें शामिल नहीं होना चाहिए और इससे बाहर रहना चाहिए।’ ट्रंप ने कहा कि असद का सहयोगी रूस है, लेकिन वह इन दिनों यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है। ऐसे में सीरिया में जो कुछ हो रहा है, उसमें रूस ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं है। रूस ने कई वर्षों तक सीरिया की रक्षा की। ट्रंप ने ये भी लिखा कि अगर रूस, सीरिया से निकल जाता है तो इससे रूस को ही फायदा होगा क्योंकि सीरिया से उन्हें कुछ नहीं मिला है। ट्रंप ने भले ही सीरिया युद्ध से अमेरिका के बाहर रहने की बात कही है, लेकिन सीरिया में अभी भी 900 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने की बात कही थी। ऐसे में एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के बाद ट्रंप ऐसा फैसला कर सकते हैं। हालांकि रक्षा सलाहकारों का मानना है कि अमेरिका को ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे जो खालीपन पैदा होगा, उसे रूस और ईरान द्वारा कब्जाया जा सकता है।

सीरिया क्यों है अहम

सीरिया में जारी गृह युद्ध असल में पूरे पश्चिम एशिया पर दबदबा बनाने की राजनीति का हिस्सा है। सीरिया की सीमा इराक, तुर्किये, जॉर्डन, लेबनान और इस्राइल जैसे देशों से लगती है। सीरिया पर दबदबे का मतलब है कि पश्चिम एशिया के अहम व्यापार मार्गों, ऊर्जा गलियारों तक पहुंच मिल सकती है। जिससे पूरे पश्चिम एशिया पर दबाव डाला जा सकता है। सीरिया में बशर अल असद की सरकार के सत्ता से हटने का सबसे ज्यादा असर रूस पर होगा क्योंकि पश्चिम एशिया में सीरिया ही रूस का सबसे भरोसेमंद साथी था। वहीं विद्रोही गुट को अमेरिका का समर्थन है। सीरिया गृह युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भी उछाल आने की आशंका है, जिसका असर भारत पर भी होगा।

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