संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्षी सदस्यों ने अपने तेवर जाहिर कर दिए। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच जमकर बहस हुई।
सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद जैसे ही सभापति जगदीप धनखड़ ने बोलना बंद किया तो विपक्ष के नेता चिल्लाने लगे-नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) को बोलने दीजिए। इस पर धनखड़ ने कहा कि मुझे बोले हुए अभी एक सेकंड भी नहीं हुआ और आप लोग चिल्लाने लगे। इससे विपक्ष नेता की गरिमा को नुकसान पहुंचता है। हमारे संविधान को इस साल 75 साल पूरे हो रहे हैं। आपको कुछ तो मर्यादा रखनी चाहिए। इस पर खरगे खड़े होकर बोले कि उन 75 सालों में मेरा योगदान भी 54 साल का है, तो आप मुझे मत सिखाइए। इस पर धनखड़ ने कहा, मैं आपको इतना सम्मान देता हूं और आप ऐसा बोल रहे हैं। मुझे दुख पहुंचा है। खरगे अदाणी का मुद्दा उठाए जा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर धनखड़ उन्हें इस मुद्दे पर बोलने से मना कर रहे थे। इसके बाद सदन में अदाणी मुद्दे को लेकर कई आवाजें उठने लगीं। इसके बाद सभापति ने कहा की खरगे का योगदान 54 साल का रहा है तो लोगों को उसका फायदा भी मिलने दीजिए।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए क्योंकि यह एक सामाजिक और आर्थिक बदलाव का स्रोत है। उन्होंने कहा, संविधान हमारी ताकत है। यह हमारा सामाजिक दस्तावेज है।
बिरला ने कहा, इस संविधान की बदौलत ही हमने सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाए हैं और समाज के वंचित, गरीब और पिछड़े लोगों को सम्मान दिया है। आज दुनिया के लोग भारत के संविधान को पढ़ते हैं, इसकी विचारधारा को समझते हैं और कैसे उस समय हमने सभी वर्गों, सभी जातियों को बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार दिया। इसलिए हमारे संविधान की मूल भावना हमें सभी को एकजुट करने और साथ मिलकर काम करने की ताकत देती है।