जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘वक्फ कानून का संविधान में कोई स्थान नहीं है।’
पटना में संगठन द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ और राष्ट्रीय एकता’ सम्मेलन मौलाना मदनी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकने की अपील की। मोदी सरकार इस संशोधन विधेयक को संसद के अगले सत्र के दौरान पेश कर सकती है।
मौलाना मदनी ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर हैरानी जताई और कहा कि कल वह यह भी कह सकते हैं कि नमाज, रोजा, हज और जकात का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। मदनी ने कहा कि अगर उन्हें संविधान के बारे में जानकारी नहीं है, तो वह विशेषज्ञों से जानकारी ले सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पेश हुआ तो जमीयत हिंदू, अन्य अल्पसंख्यकों और सभी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर इसका विरोध करेगी। मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमान कोई भी नुकसान बर्दाश्त कर सकता है लेकिन ‘शरीयत में कोई दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता।’





