भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज गोवा में ‘डे एट सी’ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। यह जानकारी राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति में दी गई। विज्ञप्ति के अनुसार, इस दौरान भारतीय नौसेना के लड़ाकू विमानों की परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा।रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर समुद्र में नौसेना के अभियानों को देखेंगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी आईएनएस हंसा (गोवा में नौसेना वायु स्टेशन) पर उनकी अगवानी करेंगे। राष्ट्रपति को 150 जवानों का दल औपचारिक सलामी देगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रपति मुर्मु की यह पहली यात्रा है, जिसमें वे स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर बहु-क्षेत्रीय नौसेना अभियानों की पूरी शृंखला को देखेंगी। निर्धारित ऑपरेशनों में सतही जहाजों का संचालन, युद्धक कार्रवाई, पनडुब्बी अभ्यास, हवाई शक्ति प्रदर्शन होगा, जिसमें डेक आधारित लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों की उड़ान तथा नौसेना के विमानों का फ्लाईपास्ट शामिल है।
ओडिशा के जंगलों में क्षमता से अधिक हाथी, बढ़ा इंसानी संघर्ष
ओडिशा के जंगलों में हाथियों की आबादी इस कदर बढ़ रही है कि जंगल कम पड़ने लगे हैं। भोजन-पानी की तलाश में हाथी बस्तियों की ओर चले आते हैं, जिससे इंसानों के साथ उनका संघर्ष बढ़ रहा है। नतीजतन, उनकी मौत के आंकड़ों में भी इजाफा हुआ है। इससे चिंतित सरकार ने अब उनका समुचित प्रबंधन करना शुरू कर दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि अब विभाग कुछ हाथियों को सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के अध्ययन के अनुसार, ओडिशा के जंगलों में 1,700 हाथी स्थायी रूप से रह सकते हैं, लेकिन प्रदेश में लगभग 2,100 से अधिक हाथी हैं, जो क्षमता से 400 अधिक हैं। इस वर्ष नवीनतम गणना के अनुसार ओडिशा में कुल 2,098 हाथी हैं। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि प्रदेश में 2018 से 2024 के बीच विभिन्न कारणों से 634 हाथियों की मौत हुई, जिसमें बिजली के झटकों के कारण 91 हाथियों की जान गई।