Sunday, December 21, 2025

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कोल्हापुर से मधुरिमा के नाम वापस लेने पर कांग्रेस का खेला

महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में 15 दिनों से भी कम का समय शेष रह गया है। जिसको लेकर राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने समीकरण को मजबूत करने में लगी है। दूसरी और कांग्रेस ने मंगलवार को उत्तर कोल्हापुर विधानसभा क्षेत्र में अपने आधिकारिक उम्मीदवार मधुरिमा राजे छत्रपति द्वारा अंतिम समय में अपना नामांकन वापस लेने के एक दिन बाद निर्दलीय उम्मीदवार राजेश लाटकर को समर्थन देने का एलान किया है। बता दें कि राजेश लाटकर ने कोल्हापुर से टिकट ना मिलने पर कांग्रेस ने नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था।  महाराष्ट्र की कोल्हापुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक पार्टियों की नजर में महत्वपूर्व सीट मानी जाती है। कोल्हापुर (उत्तर) कांग्रेस के लिए पश्चिम महाराष्ट्र के गढ़ो में एक मानी जाती है। ऐसे में मधुरिमा राजे के नामाकंन वापस लेने पर कांग्रेस में नारजगी देखने को मिली। जिसको लेकर स्थानीय कांग्रेस नेता सतेज पाटिल ने मधुरिमा राजे के अंतिम समय में नामांकन वापस लेने पर निराशा व्यक्त की जिससे कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। बता दें कि महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों पर एक चरण में ही 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होनी है।  इस विषय में शाहू छत्रपति ने कहा कि हमने लाटकर की उम्मीदवारी के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने हमें निर्णय लेने की सलाह दी थी। इसी के अनुसार, सतेज पाटिल ने आज बैठक बुलाई, जिसमें मैं लाटकर के नाम का प्रस्ताव रख रहा हूं।

बता दें कि राजे को टिकट दिए जाने के बाद नाराज लाटकर ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। जिसको लेकर शाहू महाराज ने सोशल मीडिया पर चल रही उन अफवाहों को भी खारिज कर दिया कि इस प्रकरण के बाद वह लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे देंगे।

शाहू छत्रपति ने एक पत्र के माध्यम से मधुरिमा राजे के नामांकन वापस लेने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उनका नामांकन वापस लिया गया क्योंकि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के समर्थन के बिना चुनाव लड़ना अनुचित माना गया। इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि यह पहले से ही तय था कि एक परिवार के पास दो राजनीतिक पद नहीं होने चाहिए, और इसलिए लाटकर को पार्टी उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, लेकिन आंतरिक विरोध के कारण उन्हें हटा दिया गया।

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