केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हिंदी को सशक्त बनाने के लिए पिछले पांच साल में तीन बड़े कार्य किए गए। इनमें पहला हिंदी शब्दसिंधु शब्दकोष का निर्माण है, जो अगले पांच वर्ष में विश्व का सबसे समृद्ध शब्दकोष बनेगा। इसके अलावा तकनीक का इस्तेमाल कर अनुवाद की पहल के लिए भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना हुई और देश के विभिन्न हिस्सों में राजभाषा सम्मेलन आयोजित करने की शुरुआत हुई, जिससे राजभाषा के महत्व को समझने में सरलता होगी।
गृह मंत्री शाह ने यह बात केंद्रीय हिंदी समिति की 32वीं बैठक की अध्यक्षता के दौरान कही। उन्होंने कहा, जब तक हम सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत नहीं करेंगे तब तक आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने हिंदी को सशक्त बनाने के लिए दो बड़े कार्य किए जाने की जरूरत भी बताई। उन्होंने कहा कि पहली यह कि हिंदी साहित्य को मजबूत करने, संजोने और व्याकरण के लिए दीर्घकालीन नीति बनाई जाए। दूसरा, आधुनिक शिक्षा के सभी पाठ्यक्रमों का हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की भी जरूरत है। गृह मंत्री ने हिंदी को सर्वस्वीकृत और लचीली बनाने पर भी जोर दिया।
शाह ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में अपने विचार व्यक्त कर राजभाषा का गौरव बढ़ाने का काम किया है। देश में इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्राथमिक और सेकंडरी शिक्षा भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होने से सभी भाषाओं के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बना है। केंद्रीय हिंदी समिति प्रचार-प्रसार के संबंध में दिशा-निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है जो हिंदी के विकास और प्रसार में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कार्यों और कार्यक्रमों का समन्वय करती है।
शाह ने कहा कि 2014 से 2024 तक का कालखंड भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिहाज से गौरवमयी कालखंड है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने पांच और भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां 11 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।





