वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की दो दिवसीय बैठक 14 अक्तूबर से पार्लियामेंट एनेक्सी में होगी। समिति 14 अक्तूबर को जमीयत उलमा-ए-हिंद, दिल्ली के सुझावों पर सुनवाई करेगी और विशेषज्ञों की राय सुनेगी। इस समिति ने एडवोकेट विष्णु शंकर जैन, एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय को दिल्ली से और एडवोकेट वीरेंद्र इचलकरंजीकर को मुंबई से बुलाया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि 15 अक्तूबर को विधेयक पर समिति के समक्ष अपने मौखिक साक्ष्य दर्ज करेंगे। इसके अलावा, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने किया। प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद, मदरसा, छात्र और युवा प्रकोष्ठ के समन्वयक इमरान चौधरी और मुस्लिम विद्वान ताहिर मुस्तफा शामिल रहे। बैठक के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न चिंताएं जाहिर कीं और वक्फ प्रबंधन से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विस्तृत सुझाव और प्रस्तावित सुधार प्रस्तुत किए। साथ ही वक्फ संपत्तियों के अधिक पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वक्फ संपत्तियों का मुस्लिम समुदाय के लाभ के लिए बेहतर उपयोग किया जा सके। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने जगदंबिका पाल को विस्तृत डोजियर भी सौंपे, जिसमें इन मुद्दों और सिफारिशों को संरचित तरीके से रेखांकित किया गया है। इसमें वक्फ संपत्तियों की अधिक प्रभावी निगरानी और ऑडिटिंग, सामुदायिक हितों की सुरक्षा और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने के तरीकों पर सुझाव शामिल थे।
जगदंबिका पाल ने एमआरएम के प्रयासों की सराहना कर उनके सुझावों के महत्व को स्वीकार किया। उन्होंने समुदाय के भीतर सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एमआरएम के काम की सराहना की और प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि विधायी समीक्षा प्रक्रिया के दौरान उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। बैठक आपसी सम्मान और पूरे मुस्लिम समुदाय के लाभ के लिए वक्फ प्रणाली में सुधार के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई।