बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर देश की तरफ से अपनी बात रखी। उन्होंने शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए अपने देशवासियों की सराहना की। उन्होंने युवाओं के भीतर आक्रोश को रेखांकित किया और कहा कि जेन-जी ने देश को उन मूल्यों पर विचार करने के लिए मजबूर किया है, जिनके आधार पर 1971 में बांग्लादेश का गठन हुआ है। यूनुस ने उम्मीद जताई कि सामूहिक संकल्प ही ‘भविष्य के बांग्लादेश’ को परिभाषित करेगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए विद्रोह का मकसद शुरू में भेदभाव को समाप्त करना था। धीरे-धीरे, आंदोलन जन आंदोलन में बदल गया। दुनिया ने देखा कि कैसे देश की जनता ने सड़कों पर उतरने के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यमों से भी निरंकुशता, उत्पीड़न, भेदभाव, अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन को ‘निरंकुश’ और ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया। यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश की जनता, विशेष रूप से युवाओं ने एक असाधारण संकल्प के साथ निरंकुश, अलोकतांत्रिक शासन से स्वतंत्रता दिलाई। खास बात यह भी रही कि यूनुस के संबोधन के समय संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन और नारेबाजी भी हुई। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम UNGA के बाहर विरोध करने के लिए इसलिए एकत्र हुए हैं क्योंकि यूनुस निर्वाचित नहीं हैं। वे संवैधानिक रूप से संचालित बांग्लादेश का पक्ष पेश कर रहे हैं। उन्हें (यूनुस) बांग्लादेश के 170 मिलियन लोगों की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है।