विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को अधिक पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनने के लिए तत्काल सुधार की जरूरत है। तन्मय लाल ने यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम ‘लीडरशिप फॉर पीस’ के दौरान कही। उन्होंने कहा कि दुनिया विनाशकारी सशस्त्र संघर्षों से जूझ रही है और यूएनएससी की मौजूदा प्रतिक्रिया अपर्याप्त है, जो इन संघर्षों को रोकने या हल करने में विफल रही है। तन्मय लाल ने कहा कि ‘गंभीर सशस्त्र संघर्ष हमारी परस्पर जुड़ी दुनिया में अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को प्रभावित कर रहे हैं और वर्तमान यूएनएससी ऐसे संघर्षों को समाप्त करने या रोकने, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों से निपटने और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में गंभीर रूप से विफल हो रही है।’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आठ दशक पहले एक अलग युग में गठित किया गया था, उस वक्त आज के संयुक्त राष्ट्र के तीन-चौथाई सदस्य देश उपनिवेश थे, लेकिन अब समय बदल गया है, दुनिया आगे बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘यूएनएससी को प्रतिनिधि, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनना होगा।’ लाल ने अपने भाषण के दौरान आतंकवाद के कथित समर्थन के लिए पाकिस्तान की भी आलोचना की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस तरह की कार्रवाइयों की निंदा करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा, उनका (पाकिस्तान) आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र, वैश्विक आतंकवादियों को प्रशिक्षण और शरण देने का समर्थन करता है। यह सही समय है कि पाकिस्तान अपने लोगों के लिए काम करना शुरू करे। अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक का निर्यात कभी सफल नहीं हो सकता। अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इस तरह के निरंतर खतरों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा दृढ़ता से खारिज किया जाना चाहिए।’
उल्लेखनीय है कि भारत विकासशील देशों के हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग कर रहा है। UNSC में 15 सदस्य देश हैं, जिनमें वीटो पावर वाले पांच स्थायी सदस्य और दो साल के कार्यकाल के लिए चुने गए दस गैर-स्थायी सदस्य शामिल हैं। UNSC के पांच स्थायी सदस्यों में चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।