प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी की अपनी तीन दिवसीय यात्रा संपन्न करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इस तीन दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने डेलावेयर में क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने के अलावा, न्यूयॉर्क में भारतीय प्रवासियों से मुलाकात भी की। उन्होंने अमेरिका के प्रमुख तकनीकी कंपनियों के सीईओ से भी बातचीत की। पीएम मोदी के इस दौरे पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने प्रतिक्रियी दी। उन्होंने पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की गहरी दोस्ती पर बात की। इसके साथ ही उन्होंने क्वाड शिखर सम्मेलन पर भी बात की। एरिक गार्सेटी ने कहा, “वे दो लोग(प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन) हैं, जिनकी इतनी गहरी दोस्ती है, भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे ज़्यादा अमेरिकी समर्थक प्रधानमंत्री, अमेरिकी इतिहास में अब तक के सबसे ज्यादा भारत समर्थक राष्ट्रपति और यह उन लोगों पर आधारित है जो पहले भी बहुत मजबूत रहे हैं। मुझे लगता है कि वे अपने देश के लोगों के प्रतिनिधि हैं। क्वाड एक विजन सेट करने, सिद्धांतों को साझा करने और इंडो-पैसिफिक में आम समाधान निकालने के लिए एक शक्तिशाली जगह है। यह उन देशों के विपरीत है जो नियमों के अनुसार नहीं चलना चाहते, कानून के शासन में विश्वास नहीं करते लेकिन मुझे लगता है कि हम समाधान निकालेंगे। यह इस बारे में है कि हम सक्रिय रूप से क्या कर सकते हैं और यह एक बहुत बड़ा कदम था।” अमेरिका के डेलावेयर में इस बार क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। डेलावेयर राष्ट्रपति जो बाइडन का गृहनगर है। क्वाड शिखर सम्मेलन पर बात करते हुए एरिक गार्सेटी ने कहा, “यह केवल एक देश के बारे में नहीं है। यह चार देसों के बारे में है। हमने जलवायु समाधान खोजने के लिए सिर्फ अमेरिका और भारत के बीच एक अरब डॉलर का निवेश किया है। हमारे दोनों देशों में लगभग 900 मिलियन लोग जलवायु के प्रति संवेदनशील हैं। अन्य देश इसपर गौर करेंगे, लेकिन को भी क्वाड से खतरा महसूस नहीं होने देंगे। क्वाड उन सिद्धांतों के लिए खड़ा है जिसहर देश साझा नहीं करता।”
पीएम मोदी के दौरे पर बात करते हुए एरिक गार्सेटी ने कहा, “मैं यह कहना चाहता हूं कि हम भारत को एक दोस्त और एक साझेदार के तौर पर देखते हैं। हम सीमाओं और संप्रभुता, कानून के शासन के बारे में सिद्धांतों को साझा करते हैं। जब भी संघर्ष हुआ हम सीमा पर भारत के साथ खड़े रहे। जब चीन की बात आती है तो हम सभी चीन के साथ शांतिपूर्ण रखना चाहते हैं। हम भारत की कूटनीतिक बातचीत का समर्थन करते हैं। जब उनकी संप्रभुता को खतरा हो तो किसी को भी आगे नहीं बढ़ना चाहिए। यह कुछ ऐसा है, जिसका हम सम्मान करते हैं।”