Friday, September 20, 2024

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मेनका गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की याचिका पर 30 सितंबर तक सुनवाई टाल दी है। मेनका गांधी ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर सपा सांसद राम भुयाल निषाद के चुनाव को चुनौती दी है। राम भुयाल निषाद ने बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को सुल्तानपुर लोकसभा सीट से हरा दिया था। मेनका गांधी का दावा है कि राम भुयाल निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, लेकिन उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में सिर्फ आठ मामलों की ही जानकारी दी थी। मेनका गांधी ने निषाद पर अपना आपराधिक इतिहास छिपाने और हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है। मेनका गांधी ने पहले इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि जनप्रतिनिधि कानून के नियमों के तहत चुनाव के बाद 45 दिनों के भीतर याचिका दायर की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव को चुनौती देने की 45 दिन की समय सीमा के नियम को भी चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसमें निलंबित जेडी(एस) नेता और दुष्कर्म के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना की मां भवानी रेवन्ना को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी। यह मामला एक अपहरण मामले में पीड़िता से जुड़ा है, जिसका कथित तौर पर प्रज्वल रेवन्ना ने यौन उत्पीड़न किया था और भवानी रेवन्ना ने पीड़िता को मामले की शिकायत करने से रोकने की कोशिश की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने रेवन्ना की ओर से पेश हुए वकील बालाजी श्रीनिवासन से मामले की स्थिति का ब्यौरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा।

श्रीनिवासन ने कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है, अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और भवानी रेवन्ना ने जांच में सहयोग किया है। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। 10 जुलाई को शीर्ष अदालत ने मामले में भवानी रेवन्ना को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली कर्नाटक सरकार द्वारा दायर अपील पर उनसे जवाब मांगा। उच्च न्यायालय ने 18 जून को भवानी रेवन्ना को अग्रिम जमानत देते हुए इस बात पर जोर दिया था कि उन्होंने जांच के दौरान पहले ही 85 सवालों के जवाब दे दिए हैं, जिससे यह दावा करना अनुचित है कि वह अपने बेटे के खिलाफ यौन शोषण के मामलों की जांच कर रही एसआईटी के साथ सहयोग नहीं कर रही हैं।

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