Friday, November 22, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के 101 गीतों की पुस्तक का विमोचन

अपने जीवन की ढाई बीसी यानी पूरे पांच दशक अपनी धरती के गीत संगीत को समर्पित करने वाले कालजयी रचनाकार उत्तराखंड के गौरव नरेंद्र सिंह नेगी की एक सौ एक चुनिंदा रचनाओं का भाष्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल ने किया है। विनसर प्रकाशन देहरादून ने इस 388 पृष्ठों के ग्रंथ को कल फिर जब सुबह होगी शीर्षक से प्रकाशित किया है। पुस्तक विमोचन 12 अगस्त को गढ़रत्न नेगी के 75वें जन्मदिवस पर देहरादून में होगा। नेगी कवि, दार्शनिक, गायक और संगीतकार के रूप में इस धरती को संवेदनाएं और सामर्थ्य सौंपने वाले शिखर पुरुष हैं। गढ़वाली के सशक्त प्रयोग से नेगी ने गढ़वाली भाषा को जीवंत भी बनाया है। उनका उदय ऐसे कालखंड में हुआ जब आंचलिक गीत लेखन और गायकी संक्रमण काल से गुजर रही थी। इस कारण वे प्रदेश की संस्कृति के रेनेसा (पुनर्जागरण) के प्रतीक भी बन गए। बहुत कम लोग जानते होंगे, जब नरेंद्र सिंह नेगी महज 19 साल के थे, तब 1968 में भाषा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण उन्हें 65 दिन बिजनौर सेंट्रल जेल में बिताने पड़े थे। और तब से आज जबकि वे 75 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं, तो बड़ी मुस्तैदी के साथ लोकभाषा आंदोलन के अग्रणी ध्वजवाहक बने हुए हैं। उनकी रचनाओं में लोक रस, गंध और स्पर्श की अनुभूतियां इस कदर अटूट हैं जैसे मधुमक्खियों के छत्ते में शहद। रयाल ने पहाड़ की चोटी से धै लगाई है कि आओ! अपने लोक को समझो, माटी की महक महसूस करो और अपने संस्कारों से जुड़े रहो।

Popular Articles