अमेरिकी कांग्रेस में एक बिल पेश किया गया है, जिसमें भारत को अमेरिका का शीर्ष सहयोगी का दर्जा देने की मांग की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने प्रस्तावित बिल ‘यूएस इंडिया डिफेंस कॉपरेशन एक्ट’ में कहा है कि ‘वामपंथी चीन लगातार हिंद प्रशांत महासागर इलाके में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर रहा है। ऐसे में अमेरिका के लिए अहम है कि वह चीन की रणनीति की काट के लिए अपना सहयोग जारी रखे और भारत के साथ ही क्षेत्र के अन्य देशों को ये बताए कि वे अकेले नहीं हैं।’ हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है।
श्रीलंका में इस साल 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। स्वतंत्र चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा की। इस घोषणा के साथ महीनों से चली आ रही अटकलें खत्म हो गईं कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए चुनाव स्थगित कर दिया जाएगा। आज सरकारी गैजेट संख्या 2394/51 जारी किया गया। इसमें बताया गया कि संविधान के अनुच्छेद 31(3) के अनुसार, 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है और नामांकन 15 अगस्त को स्वीकार किए जाएंगे। चुनाव की इस घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का शेष कार्यकाल समाप्त होने वाला है। बता दें कि उन्होंने 2022 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2019 में जब राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, तब राजपक्षे 70 लाख वोटों के रिकॉर्ड के साथ राष्ट्रपति बने थे। 2022 की शुरुआत में हजारों की संख्या में लोगों ने आर्थिक तंगी से निपटने में राजपक्षे की असफलता के लिए पद छोड़ने की मांग की थी। नौ जुलाई 2022 में राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा, जिसके बाद निवर्तमान रानिल विक्रमसिंघे को राजपक्षे के उत्तराधिकारी के तौर पर संसद के माध्यम से चुना गया। विक्रमसिंघे ने आईएमएफ से बेल आउट की सुविधा का लाभ उठाकर देश को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान भारत ने भी श्रीलंका को आर्थिक तंगी से बाहर निकलने में मदद की। भारत ने 2022 की पहली तिमाही में श्रीलंका को 4 बिलियन डॉलर की जीवन रेखा प्रदान की, जिसका इस्तेमाल भोजन और आवश्यक वस्तुओं के आयात के भुगतान में किया गया। अप्रैल के मध्य तक श्रीलंका ने कर्ज चुकाने से मना कर दिया था। एक साल बाद आईएमएफ के पास करीब तीन अरब डॉलर की पहली किस्त आई, जिसे चार वर्षों के लिए बढ़ाया जाना था। हालांकि, निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने के लिए देश में सुधारों को लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। वह एक बार फिर राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता में वापस आने की उम्मीद कर रहे हैं।