राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब वंचित वर्ग में संगठन के संदर्भ में फैली भ्रांतियों को दूर कर उसे साधने की मुहिम शुरू करेगा। झारखंड की राजधानी रांची में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में इसके लिए देश भर के अभावग्रस्त बस्तियों में सेवा कार्य शुरू करने और इसमें सभी अनुषांगिक संगठनों की भूमिका तय करने पर सहमति बनी है। बैठक में शताब्दी वर्ष की योजनाओं, संघ प्रमुख के आगामी एक वर्ष के राष्ट्रीय प्रवास सहित कई अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई है। संघ की प्रांत प्रचारक बैठक के बाद अब सबकी निगाहें 31 अगस्त से दो सितंबर तक केरल के पलक्कड़ में होने वाली समन्वय बैठक पर होगी। इस बैठक में संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों के अलावा भाजपा के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। चुनाव नतीजे के बाद उस पर मंथन के संदर्भ में यह पहली बैठक होगी। संघ सूत्रों ने बताया कि वंचित वर्ग तक मजबूत पैठ बनाने के लिए शताब्दी वर्ष तक ऐसे सभी अभावग्रस्त बस्तियों और 5 हजार से अधिक जनसंख्या वाले गांवों में व्यापक सेवा कार्य शुरू करने की योजना बनी है। वंचित, उपेक्षित और अभावग्रस्त लोगों तक शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक संस्कार पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसके लिए संघ ने सेवा भारती, सेवा न्यास सहित करीब डेढ़ दर्जन संगठनों को कमर कसने का निर्देश दिया है। शाखा प्रमुखों को भी ऐसी बस्तियों के चयन के निर्देश दिए गए हैं।
संघ ने वंचित वर्ग में पैठ बढ़ाने के लिए सामाजिक समरसता मुहिम चलाई थी। इसके तहत एक गांव, एक कुआं, एक श्मशान अभियान का बेहद सकारात्मक असर पड़ा। अब संघ ने इसी मुहिम के विस्तार के तहत अभावग्रस्त बस्तियों में वृहद सेवा कार्य योजना तैयार की है। संघ सूत्रों का कहना है कि उसके अनुषांगिक संगठन पहले से ही 1.35 लाख सेवा कार्य चला रहे हैं। जरूरत इसकी वंचित वर्ग से जुड़े इलाकों तक विस्तार करने की है।





