नाटो नेताओं ने रूस के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यूक्रेन को एक साल के अंदर 43 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता देने का वादा किया है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक नाटो गठबंधन के सदस्यों ने यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत और संयुक्त कदमों की भी घोषणा की। क्योंकि 32 देशों का समूह रूस को यूरोप के लिए एक बढ़ता खतरा मानता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और डेनमार्क ने घोषणा की कि वे इस गर्मी तक यूक्रेनी सैन्य पायलटों को नाटो का दिया हुआ पहला F-16 लड़ाकू जेट देंगे। अमेरिका ने आगे कहा कि वह 2026 में जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करेगा। इसका उद्देश्य सिर्फ रूस के बढ़ते खतरे से यूरोप को सुरक्षित रखना है।शीत युद्ध के बाद से यूरोप की में तैनात किया जाने वाला यह सबसे शक्तिशाली अमेरिकी हथियार होगा। हालांकि इस तरह के हथियार की तैनाती पर 1987 में अमेरिका और सोवियत संघ के द्वारा इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल संधि के तहत प्रतिबंधित किया था। लेकिन 2019 में यह संधि टूट चुकी है। सीएनएन रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता का समर्थन करने के कारण नाटो के सदस्यों ने रूस की आलोचना की है। वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन में 32-सदस्यीय गठबंधन ने एक संयुक्त घोषणा जारी किया, जिसमें चीन को रूस की आक्रामकता के “निर्णायक समर्थक” के रूप में निंदा की गई।