केंद्र ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश के साथ गंगा जल संधि की समीक्षा की प्रक्रिया से राज्य को बाहर रखा गया। केंद्र का कहना है कि गंगा जल संधि की समीक्षा पर पश्चिम बंगाल से परामर्श किया गया था। बंगाल सरकार द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है। केंद्र के सूत्रों ने सोमवार को यहां कहा कि बांग्लादेश के साथ गंगा जल संधि की समीक्षा पर पश्चिम बंगाल से परामर्श किया गया, उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस दावे को खारिज कर दिया कि राज्य को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया था। केंद्रीय सूत्रों के मुताबिक, समीक्षा के दौरान बंगाल सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग में संयुक्त सचिव (कार्य) ने अप्रैल में फरक्का बैराज के निचले हिस्से से अगले 30 वर्षों के लिए राज्य की कुल मांग से अवगत कराया था। एम बनर्जी ने हावड़ा में नगर पालिकाओं और नगर निगमों के अध्यक्षों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जहां उन्होंने भाजपा पर बंगाल के लोगों की आजीविका के बारे में विचार किए बिना फरक्का संधि को नवीनीकृत करने का आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा की बंगाल विरोधी मानसिकता करार दिया और कहा कि बंगाल के लोग चुप नहीं रहेंगे।
बता दें कि भारत और बांग्लादेश ने 1996 में 30 साल के लिए गंगा जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 30 साल की यह संधि 2026 में समाप्त होगी, लेकिन आपसी समझौते से इसे बढ़ाया जा सकता है। पिछले सप्ताह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत का दौरा किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा जल संधि को लेकर एक घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश 1996 की संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी स्तर की बातचीत शुरू करेंगे। बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन की समीक्षा के लिए एक तकनीकी टीम भी बांग्लादेश की यात्रा करेगी। वहीं, बंगाल की सीएम बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि संधि के नवीनीकरण के लिए बातचीत शुरू करने का निर्णय एकतरफा था। उन्होंने पीएम से आग्रह किया था कि बंगाल सरकार को शामिल किए बिना बांग्लादेश के साथ ऐसी कोई भी चर्चा न की जाए।