धराली आपदा से प्रभावित 98 परिवारों को प्रदेश सरकार द्वारा 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। सहायता राशि के चेक मंगलवार को गंगोत्री विधानसभा के विधायक सुरेश सिंह चौहान ने वितरित किए।
आपदा के छह दिन बीत जाने के बाद भी मलबे में लापता लोगों की तलाश जारी है। अब इस अभियान में आधुनिक तकनीक की मदद ली जा रही है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) की विशेषज्ञ टीम धराली पहुंच चुकी है, जो ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक के माध्यम से मलबे के भीतर संभावित मानव उपस्थिति की जांच करेगी।
गौरतलब है कि इसी तकनीक का उपयोग फरवरी 2025 में तेलंगाना के SLBC सुरंग हादसे में भी किया गया था। धराली में भी वैज्ञानिक मलबे के नीचे मौजूद संरचनात्मक विसंगतियों और संभावित जीवित लोगों की स्थिति का पता लगाने के लिए यह तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं।
GPR एक भू-भौतिकीय सर्वेक्षण विधि है, जो सतह के नीचे वस्तुओं, खोखले स्थानों या मानव उपस्थिति का पता लगाने के लिए रेडियो तरंगों का प्रयोग करती है। यह तकनीक कीचड़ और पानी जैसी जटिल परिस्थितियों में भी प्रभावी रूप से कार्य कर सकती है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे सुरक्षा बल और विशेषज्ञ संस्थाएं
धराली में मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश में सेना, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें लगातार अभियान चला रही हैं। NIM (नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग) और सेना द्वारा रेको डिटेक्टर मशीनों की मदद से भी सर्च अभियान तेज़ किया गया है।
राहत कार्य: राशन और भोजन की व्यवस्था जारी
क्षेत्र में सड़क संपर्क बाधित होने के कारण ग्रामीणों तक घोड़े और खच्चरों के माध्यम से राशन सामग्री पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा समेश्वर देवता मंदिर में सामूहिक भोजन की व्यवस्था भी की गई है, जिससे आपदा प्रभावित लोगों को राहत मिल सके।