केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग के लिए संदर्भ शर्तें (Terms of Reference) तैयार किए जाने के बाद कर्मचारी संगठनों में नई हलचल देखी जा रही है। वेतन संरचना, भत्तों के पुनरीक्षण और सेवा शर्तों के सुधार जैसे पारंपरिक बिंदुओं के साथ इस बार ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर भी बड़ा विवाद खड़ा होने की संभावना है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि OPS बहाली उनकी शीर्ष मांगों में शामिल है, जबकि सरकार अभी इस विषय पर कोई स्पष्ट संकेत देने को तैयार नहीं दिखती।
जानकारों के अनुसार, जैसे ही 8वें वेतन आयोग की रूपरेखा सार्वजनिक होने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, कर्मचारियों और सरकार के बीच चर्चा और टकराव तेज हो सकता है। कई संगठनों ने संकेत दिया है कि यदि OPS को शामिल नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार 16 दिसंबर को होने वाली संभावित गतिविधियों और विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पूरी तरह सतर्क है।
वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में इस बार सेवा अवधि, करियर प्रगति, इन्क्रीमेंट सिस्टम और पेंशन सुविधाओं से जुड़े बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की बात कही जा रही है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) के तहत पेंशन को लेकर जो अनिश्चितता बनी हुई है, वह कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता है। ऐसे में OPS बहाली को लेकर उनका दबाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है।
सरकारी तंत्र भी इस स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है। मंत्रालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 16 दिसंबर के आसपास होने वाली गतिविधियों की मॉनिटरिंग करें और आवश्यकतानुसार प्रशासनिक तैयारियां सुनिश्चित करें। हालांकि सरकार की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि वेतन आयोग पर बातचीत लंबी प्रक्रिया है और किसी भी निर्णय में सभी पहलुओं पर विस्तृत विचार किया जाएगा।
कुल मिलाकर, 8वें वेतन आयोग की शुरुआती हलचल ने कर्मचारी संगठनों और सरकार दोनों के बीच तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। OPS बहाली का मुद्दा इस बहस का केंद्र बनने जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में टकराव और तेज होने की पूरी संभावना है।





