कैंसर वास्तव में तेज गति से बढ़ रहा है जिसके इलाज के लिए मरीजों को काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। हालांकि कैंसर नियंत्रण का सबसे अहम हिस्सा रोकथाम है और 60% कैंसर को रोका जा सकता है। इसमें डे केयर सेंटर बड़ी भूमिका निभाएंगे। यह बात कहते हुए कैंसर रोकथाम और सालों से अनुसंधान में जुटे वैज्ञानिकों ने सरकार के 700 जिलों में डे केयर कैंसर सेंटर शुरू करने के फैसले को सराहा है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. शालिनी सिंह का कहना है कि भारत में बड़ी संख्या में कैंसर मरीज इलाज के लिए देर से आते हैं जिसकी वजह से उपचार के परिणाम खराब होते हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर उपचार चिकित्सा की एक विशेष शाखा है जो केवल बड़े अस्पतालों तक सीमित है। जब एक मरीज क्लिनिक में आता है तो सबसे पहले विभिन्न तरह की जांच जैसे रक्त, कोशिका विज्ञान, बायोप्सी, हिस्टोपैथोलॉजी, एक्स-रे/सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी के जरिए निदान किया जाता है। यह सभी सुविधाएं डे केयर सेंटर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। डे केयर सेंटरों में मरीजों की स्क्रीनिंग की सुविधा होनी चाहिए ताकि बीमारी का शीघ्र पता लगाया जा सके। कैंसर के मरीज जिनके इलाज के प्रोटोकॉल तैयार हैं और उन्हें कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी की जरूरत है, ऐसे रोगियों को डे केयर सेंटर के कर्मचारी थेरेपी दे सकते हैं। अधिक दुष्प्रभाव के चलते उन्हें बड़े अस्पताल रेफर कर सकते हैं। -डॉ. शालिनी सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान, आईसीएमआर
जिला अस्पतालों में कैंसर देखभाल केंद्रों की स्थापना एक परिवर्तनकारी समाधान प्रस्तुत करती है। ये केंद्र मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल ढांचे को मजबूती भी दे सकते हैं जो निदान से लेकर इलाज और शोध व अनुसंधान तक जुड़े हैं। इससे मरीजों को तय समय पर इलाज मिल सकेगा और बड़े अस्पतालों पर बोझ भी कम पड़ेगा।
-डॉ. प्रशांत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान, नोएडा
डॉ. शालिनी सिंह ने कहा कि हमारे देश में तीन सबसे प्रचलित मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर हैं जिनके जोखिम को कम करने की दिशा में काम करना बहुत जरूरी है। इन डे केयर सेंटरों का उपयोग तंबाकू/सुपारी और शराब के सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने में किया जा सकता है जो सीधे तौर पर मुंह के कैंसर के कारण हैं। इसी तरह एचपीवी टीकाकरण (सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए), उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों/तेल से परहेज करके चयापचय मॉड्यूलेशन के रूप में कैंसर रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है।