नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। प्रदूषण का स्तर गंभीरतम स्थिति में पहुंच गया है और कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ने 500 अंक का आंकड़ा पार कर लिया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान मौसम और वायु प्रवाह की स्थिति को देखते हुए अगले कुछ दिनों में राहत की कोई संभावना नहीं है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार सुबह दिल्ली के आनंद विहार, अशोक विहार, वजीरपुर, बवाना, पंजाबी बाग और नरेला जैसे क्षेत्रों में AQI 480 से 520 के बीच रिकॉर्ड किया गया। यह स्तर ‘गंभीर श्रेणी’ (Severe Category) में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है।
सांस लेना हुआ मुश्किल
जहरीली हवा के कारण राजधानी की सड़कों पर धुंध की मोटी परत छाई हुई है। लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत की शिकायतें हो रही हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।
दिल्ली एम्स के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इतने उच्च स्तर का प्रदूषण फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने लोगों से बाहर निकलने से बचने, एन-95 मास्क के उपयोग और घरों में एयर प्यूरीफायर लगाने की सलाह दी।
प्रदूषण के बढ़ते कारण
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के पीछे पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्यों की धूल और मौसमी ठहराव प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी के साथ उत्तर भारत में हवा का रुख धीमा पड़ने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण तेजी से बढ़ा है।
प्रशासन के कदम
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू कर दिया है। इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों पर प्रतिबंध और सरकारी वाहनों के उपयोग में कटौती जैसे कदम उठाए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है और सभी एजेंसियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से भी पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय बढ़ाने की अपील की है।
राहत की उम्मीद नहीं
मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में अगले तीन-चार दिनों तक हवा की गति बेहद धीमी रहेगी, जिससे प्रदूषक कणों के फैलाव की संभावना नहीं है। इस वजह से प्रदूषण का स्तर फिलहाल घटने के बजाय और बढ़ सकता है।
राजधानी की बिगड़ती वायु गुणवत्ता एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या दिल्ली हर सर्दी में ऐसे ही ‘गैस चैंबर’ में तब्दील होती रहेगी, या प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए अब कोई स्थायी समाधान तलाशा जाएगा।





