भारत को पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक आंकड़ा भर नहीं है। बल्कि यह लाखों लोगों को गरीबी से उबारने, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा स्थापित करने और ऊर्जा, सुरक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण हासिल करने का एक खाका भी है। यह कहना है प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा का, जो शनिवार को संबलपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान स्नातक छात्रों को संबोधित कर रहे थे। मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के मध्य जब ट्रंप का टैरिफ पूरी दुनिया में व्यापारिक स्थितियों को प्रभावित कर रहा है। पीके मिश्रा ने भू-राजनीतिक प्रभाव, रणनीतिक साझेदारी, एनआरआई समुदाय और वैश्विक प्रभाव के परिपेक्ष्य में सॉफ्ट पावर के तौर पर भारत को मजबूती से स्थापित करने की दिशा में जारी प्रयासों पर जोर दिया।
उन्होंने भारत की वैश्विक स्थिति पर सकारात्मकता के साथ विचार करने पर जोर दिया क्योंकि आंतरिक परिवर्तन और बदलती वैश्विक गतिशीलता दोनों आकार ले रही हैं। पीके मिश्रा ने कहा, हम अभूतपूर्व गति से तकनीकी सफलताएं देख रहे हैं। आपूर्ति शृंखलाओं की फिर से कल्पना की जा रही है और व्यापार संबंधों को फिर से परिभाषित किया जा रहा है। जलवायु और स्थिरता हर बातचीत के केंद्र में हैं और इस मंथन के बीच एक बात स्पष्ट है कि भविष्य सिर्फ विरासत में नहीं मिलेगा, बल्कि इसे बनाया जाएगा। प्रधान सचिव ने दृढ़ता पर जोर देते हुए सभी को असफलताओं से सीखने और आगे बढ़कर अवसर के रुप में स्वीकार करने, क्षमताओं पर भरोसा करके बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।