Friday, November 22, 2024

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35% तक जैव-कोलतार मिश्रण पर सहमति

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार पेट्रोलियम आधारित बिटुमेन (कोलतार) में 35 प्रतिशत तक जैव-कोलतार के मिश्रण की अनुमति देगी। इससे 10,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होने की उम्मीद है। कोलतार का एक बड़ा हिस्सा दूसरे देशों से आयात किया जाता है। इसका व्यापक रूप से सड़कों और छतों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। गडकरी ने राज्यसभा में सवालों का जवाब देते हुए कहा, हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। 90 प्रतिशत सड़कों में बिटुमिनस परतों का उपयोग हो रहा है। 2023-24 में बिटुमेन की खपत 88 लाख टन थी। 2024-25 में यह 100 लाख टन होने की उम्मीद है। 50 प्रतिशत कोलतार आयात किया जाता है और वार्षिक आयात लागत 25,000-30,000 करोड़ रुपये है। मंत्री ने कहा कि किसान अब न केवल खाद्यान्न उत्पादन कर रहे हैं बल्कि वे ऊर्जा उत्पादक भी बन गए हैं। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने धान के भूसे से बायो-बिटुमेन (जैव-कोलतार) विकसित किया है। इससे पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आएगी। उन्होंने बताया, एक टन पराली से 30 प्रतिशत जैव-कोलतार, 350 किलो बायो गैस व 350 किलो बायोचार निकलता है। पेट्रोलियम आधारित कोलतार का खर्च प्रति किलो 50 रुपये है जबकि पराली से बना कोलतार 40 रुपये प्रति किलो है। गडकरी ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के पास चावल के भूसे से प्रति दिन एक लाख लीटर एथेनॉल बनाने के अलावा प्रति दिन 150 टन बायो-बिटुमेन व प्रति वर्ष 88,000 टन बायो-एविएशन ईंधन बनाने की परियोजना है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि कुल 900 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क परियोजना में से केवल 150 किमी का निर्माण बाकी है। 12,000 करोड़ की इस परियोजना का लक्ष्य उत्तराखंड में सड़कों को चौड़ा करना और चार पवित्र स्थानों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को हर मौसम में संपर्क के अनुकूल बनाना है। इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या मुद्दा तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करना है या चीन सीमा तक सड़क बनाना है, गडकरी ने कहा, हम पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा करेंगे, हम राष्ट्रीय हित की रक्षा करेंगे। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार ने बड़ी संख्या में पौधे लगाने का फैसला किया है और कुछ हिस्सों में पेड़ों का प्रत्यारोपण भी किया जाएगा।

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