देश के तीसरे सबसे बड़े गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट शीतकाल के लिए बंद करने की तैयार शुरू हो गई है। एक सप्ताह बाद 30 नवंबर को पार्क के गेट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस दौरान शीतकाल में वन्यजीवों की चहलकदमी पर ट्रैप कैमरों की नजर रहेगी। इसके लिए वन विभाग की टीम ने इस साल 75 ट्रैप कैमरे लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही वन कर्मियों की टीम पार्क के विभिन्न ट्रैक रूट पर लंबी दूरी की गश्त भी कर रही है।
दरअसल, गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को पर्यटकों के लिए खोले जाते हैं, जिन्हें 30 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है। ग्रीष्मकाल में जहां वन्यजीवों की निगरानी के लिए वनकर्मी नियमित रूप से गश्त करते हैं। वहीं, शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी के चलते यह संभव नहीं होता। ऐसे में ट्रैप कैमरे पार्क प्रशासन की मदद करते हैं, जब पार्क के गेट खोले जाते हैं तो इन ट्रैप कैमरों में कई बार हिम तेंदुए सहित अन्य दुर्लभ वन्यजीवों की वीडियो और तस्वीरें कैद मिलती हैं।
इसी क्रम में इस साल भी पार्क प्रशासन ने पार्क के गेट बंद होने से पूर्व ट्रैप कैमरे लगाना शुरू कर दिया है। जो कि केदारताल, गोमुख ट्रैक, नेलांग घाटी के कारछा, चोरगाड, तिरपानी, नीलापानी, भैरोंघाटी व गर्तांग गली आदि में लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा वन कर्मियों की टीम गंगोत्री-केदारताल ट्रैक, दुमकोचौड़ चोरगाड ट्रैक, गोमुख और रुद्रगैरा ट्रैक पर भी लंबी दूर गश्ती कर रही है। प्रत्येक गश्ती दल में 4 से 6 वन अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। वहीं, पार्क के गेट बंद करने से पूर्व पार्क प्रशासन सफाई अभियान चला चुका है। इस साल सफाई अभियान चलाते हुए 6 क्विंटल कचरा एकत्रित किया गया है, जिसमें सर्वाधिक कचरा गोमुख ट्रैक से एकत्र किया गया है, जिसमें खाद्य सामग्री के रैपर, प्लास्टिक बोतल, कपड़े आदि शामिल हैं।पार्क के उप निदेशक आरएन पांडे ने बताया कि लंबी दूरी गश्त पर निकली वन कर्मियों की टीम ने जानकारी दी है कि अभी पार्क के ऊंचाई वाले क्षेत्रों व चोटियों पर ताजा बर्फबारी नहीं हुई है। हालांकि तापमान माइनस में पहुंचने से पानी जमने लगा है। कई जगह झरने और नदियों का जल जम चुका है।
वर्ष 1989 में स्थापित गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र 2390 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो कि हिम तेंदुए सहित कई दुर्लभ वन्यजीवों का घर है। वर्ष 2017 में यहां दो ट्रैप कैमरों में पहली बार दुर्लभ अरगली भेड़ भी कैद हुई थी। इसके अलावा यहां भूरा भालू, काला भालू, लाल लोमड़ी, हिमालयन मोनाल, कस्तूरी मृग, भरल आदि पाए जाते हैं।