समुद्री क्षेत्र में पड़ोसी देशों की किसी भी अप्रिय गतिविधि का मुंहतोड़ जवाब देने और नौसेना को और सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदेगी। अगले महीने तक 90 हजार करोड़ रुपये की इस खरीद के लिए अलग-अलग समझौते होने की संभावना है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि समुद्री क्षेत्र में चीन व पाकिस्तानी नौसेनाओं की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी तरह की अप्रिय हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
नौसेना दिवस से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में नौसेना प्रमुख ने यह भी बताया कि राफेल मरीन पर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। इसे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के पास ले जाने में बस पड़ाव बचा है, चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच का सौदा है, इसलिए इसमें ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। पिछले साल जुलाई में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से राफेल-एम जेट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी, मुख्य रूप से स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर इसकी तैनाती की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने दो एसएसएन (परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों) के निर्माण को मंजूरी दे दी है और ऐसी कुल छह पनडुब्बियां बनाने की योजना है। पहली एसएसएन 2036-37 तक और दूसरी 2038-39 तक तैयार होगी। नौसेना की शक्ति बढ़ाने के लिए वर्तमान में 62 जहाज और एक पनडुब्बी का निर्माण चल रहा है।
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि पाकिस्तानी नौसेना को सशक्त बनाने में चीनी मदद से उसके मंसूबे साफ हैं। हमारी तैयारी भी पूरी है, हमें उनकी हर गतिविधि के बारे में जानकारी है। हम जानते हैं कि वह क्या, कितना और कैसे बचा रहे हैं। उनकी आठ नई पनडुब्बियां युद्धक क्षमता से लैस हैं। हम पाकिस्तानी नौसेना की आश्चर्यजनक वृद्धि से अवगत हैं, जिसका लक्ष्य 50 जहाजों वाली नौसेना बनना है। उन्होंने अपने लोगों के कल्याण के बजाय हथियारों को चुना है। भारतीय नौसेना भी इन चुनौतियों से निपटने और दोनों पड़ोसियों को समुद्री क्षेत्र में जवाब देने को तैयार है। नौसेना प्रमुख ने कहा, प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत 31 और अधिक शक्तिशाली युद्धपोतों की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है। इसमें नौसेना के लिए 60 यूटिलिटी हेलिकॉप्टर मशीनें भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, हमारे प्रधानमंत्री ने भी एक बार संकेत दिया था कि हमारी तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है और युद्ध का चरित्र बदल रहा है। इसके लिए हमने प्रौद्योगिकियों के समावेश पर ध्यान दोगुना कर दिया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और अन्य भाग शामिल हैं।