भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न पहलों के माध्यम से अपने देश की विशाल आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उसने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। यूएन में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने गरीबी उन्मूलन और कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा और पोषण पर दूसरी समिति की सामान्य चर्चा के दौरान भारत की तरफ से यह टिप्पणी की। संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव ने देश की सफलता का श्रेय सरकार के लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों को दिया, जो हाशिये पर रहने वाले और कमजोर समुदायों को सशक्त बनाते हैं। स्नेहा दुबे ने कहा, हाल के वर्षों में बहुआयामी गरीबी में वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक गरीबी स्तर में भी वृद्धि जारी जारी रही है। उन्होंने कहा, भारत में हाशिये पर रहने वाले कमजोर वर्गों का सशक्तीकरण और लक्षित नीतिगत दखल के चलते लैंगिक असमानता भी कम हो रही है। उन्होंने कहा, युवाओं को कौशल प्रदान करना हमारी प्रमुख प्राथमिकता है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भूमिका पर बोलते हुए प्रथम सचिव ने कहा, भारत ने समावेशी, एकीकृत और न्यायसंगत विकास सुनिश्चित किया है। स्नेहा ने कहा, भारत अपनी विशाल आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, डिजिटल कृषि मिशन, पीएम पोषण जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में स्नेहा दुबे ने जोर दिया कि भारत बहुआयामी दृष्टिकोण से वैश्विक गरीबी के खिलाफ लड़ रहा है और गरीबी उन्मूलन गठबंधन का संस्थापक सदस्य है। ऐसे में भारत ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाने के साथ उसके पोषण गुणों को लोकप्रिय बनाने का बीड़ा भी उठाया। भारत ने कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा और पोषण पर प्रस्ताव में भूख और कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए सभी स्तरों पर ठोस कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।