मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास जैसे पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की पहल के जरिये भारत 2030 तक विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में शीर्ष 25 देशों में शामिल हो जाएगा। अभी भारत 139 देशों में से 38वें स्थान पर है।बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति जैसी पहलों के माध्यम से मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास उपरोक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रमुख चालक बनने जा रहा है। देश के माल ढुलाई और लॉजिस्टिक्स बाजार के 8.8 प्रतिशत सालाना बढ़कर 2029 तक 484.43 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह 2024 में 317.26 अरब डॉलर से अधिक था।भारत तेजी से वैश्विक लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह प्रगति सरकार के विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के तहत विकसित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वर्तमान में देश में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है। सरकार अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुधार कर 2030 तक इस आंकड़े को 10 फीसदी से कम करने का लक्ष्य रखी है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमृतकाल के दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत हाई-स्पीड सड़कों और नए हवाई अड्डों के माध्यम से मल्टी-मोडल परिवर्तन को आगे बढ़ा रहा है। इसके जरिये परिवहन में लगने वाले समय में 66 प्रतिशत कटौती करने के लक्ष्य के साथ लॉजिस्टिक्स प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। भारत 2026 तक जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त लक्ष्य हासिल करने के लिए पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति सहित मजबूत नीति समर्थन की जरूरत है। पीएम गति शक्ति के तहत ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, बंदरगाह कनेक्टिविटी और उच्च यातायात घनत्व क्षेत्रों जैसे प्रमुख आर्थिक गलियारों में लॉजिस्टिक सुविधा बढ़ाने के लिए 11.17 लाख करोड़ रुपये की 434 परियोजनाओं की पहचान की गई है।





