मॉस्को / नई दिल्ली। रूस और भारत ने अपने आर्थिक संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य तय किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मास्को में भरोसा व्यक्त किया है कि दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 100 अरब (ज़ीरो) डॉलर तक पहुंच सकता है। उन्होंने यह बात रूस-भारत सहयोग की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कही, जहाँ दोनों पक्ष आर्थिक, व्यापारिक और लॉजिस्टिक चुनौतियों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं।
लक्ष्य और महत्व
- इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा वार्षिक शिखर बैठकऔर दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी की दिशा को ध्यान में रखते हुए की गई है।
- जयशंकर ने कहा कि वर्तमान व्यापार, लगभग 66 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है, और यदि गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं (non-tariff barriers), नियामक अड़चनों और लॉजिस्टिक चुनौतियों को समय रहते दूर किया जाए, तो 100 अरब डॉलर का लक्ष्य “बेहद यथार्थवादी” है।
- उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि व्यापार संतुलन की असंतुलन स्थिति — जो फिलहाल रूस के पक्ष में है — को ठीक करना आवश्यक है।
चुनौतियाँ और समाधान
जयशंकर ने कुछ प्रमुख बाधाओं की ओर संकेत किया है जिन्हें पार करना ज़रूरी माना गया है:
- गैर–शुल्क (non-tariff) बाधाएं
व्यापार में ऐसे कई अवरोध हैं जो शुल्क के बिना हैं, लेकिन व्यापार को रोकते हैं। उन्हें हटाना दोनों देशों के लिए प्रमुख प्राथमिकता होना चाहिए, ताकि व्यापार को सुचारू रूप से बढ़ाया जा सके। - भुगतान तंत्र में सुधार
भारत और रूस ने “राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने” की व्यवस्था बढ़ाने पर सहमति जताई है, जिससे व्यापार निपटान में डॉलर-निर्भरता कम हो सके। - कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक
दोनों देशों ने उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor), उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route) और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग (Chennai-Vladivostok Corridor) जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। - निवेश और साझेदारी
जयशंकर ने यह कहा है कि निवेश को बढ़ाने और रूसी कंपनियों के साथ संयुक्त परियोजनाओं को विस्तार देने की जरूरत है, ताकि द्विपक्षीय आर्थिक रिश्ते और गहरे हों। - बी–वट व्यापार असंतुलन
वर्तमान में भारत-रूस व्यापार में भारी असंतुलन है, मुख्य रूप से भारत की रूस से तेल आयात के कारण। जयशंकर ने कहा है कि इस असंतुलन को जल्दी से नियंत्रित करना आवश्यक है।
दीर्घकालिक दृष्टि
- जयशंकर ने बताया कि एक 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रमतैयार किया जा रहा है, जो दोनों देशों के निवेश, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का रोडमैप देगा।
- उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं होगी — शिक्षा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार की उम्मीद है।
- इसके साथ ही, भारत और रूस की यह योजना वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भी एक रणनीतिक कदम मानी जा रही है — विशेष रूप से उन समय में जब दोनों देशों को वैश्विक व्यापार में बदलते माहौल और वित्तीय दबावों का सामना करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष:
एस. जयशंकर की हाल की यात्राओं और बैठकों का मकसद सिर्फ राजनीतिक संवाद नहीं, बल्कि भारत-रूस के आर्थिक रिश्तों को एक नई दिशा देना है। 100 अरब डॉलर का लक्ष्य उच्च महत्वाकांक्षी है, लेकिन यदि कनेक्टिविटी, भुगतान व्यवस्था और व्यापार बाधाओं पर समयबद्ध सुधार किया गया, तो यह उद्देश्य हासिल किया जाना संभव भी लग रहा है।





