Saturday, December 20, 2025

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200 से ज्यादा उड़ानें रद्द, विमानन मंत्री बोले- घटाई जाएगी इंडिगो के मार्गों की संख्या

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है। तकनीकी दिक्कतों और स्टाफ की कमी के चलते सोमवार को ही 200 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इससे न केवल हज़ारों यात्री प्रभावित हुए, बल्कि हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी जैसी स्थिति भी देखने को मिली। कई यात्रियों ने देरी, रद्दीकरण और वैकल्पिक उड़ानों की अनुपलब्धता को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई।

विमानन मंत्रालय ने इस स्थिति पर सख्त रुख अपनाते हुए इंडिगो से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय विमानन मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यात्रियों को बार-बार असुविधा होने की स्थिति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने बताया कि यदि परिचालन स्थिरता सुनिश्चित नहीं की गई, तो सरकार मजबूर होकर एयरलाइन के मार्गों (रूट्स) की संख्या घटाने का निर्णय ले सकती है। मंत्री ने कहा कि उड़ान संचालन जितना विस्तार किया जाए, उसके अनुरूप संसाधन और स्टाफ भी पर्याप्त होना चाहिए, अन्यथा यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा प्रभावित होती है।

मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) पहले से ही एयरलाइन की उड़ानों, तकनीकी व्यवस्थाओं और क्रू उपलब्धता से जुड़े पहलुओं की समीक्षा कर रहा है। यदि इंडिगो अपनी परिचालन क्षमता को स्थिर स्तर पर वापस नहीं ला पाती, तो नियामक संस्था उसके स्लॉट और उड़ानों की संख्या में कटौती कर सकती है। इसके साथ ही मंत्रालय ने एयरलाइन प्रबंधन को यात्रियों के मुआवजे और पुनर्बुकिंग से संबंधित शिकायतों को प्राथमिकता से सुलझाने के निर्देश दिए हैं।

इधर, इंडिगो प्रबंधन का कहना है कि अचानक बढ़े परिचालन दबाव और तकनीकी चुनौतियों के कारण अस्थायी व्यवधान उत्पन्न हुए हैं। कंपनी का दावा है कि स्थिति को सुधारने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाए जा रहे हैं और जल्द ही नियमित उड़ान सेवाएँ बहाल कर दी जाएँगी। हालांकि, यात्रियों का गुस्सा फिलहाल शांत नहीं हुआ है, क्योंकि कई लोग दिनभर की यात्रा योजनाएँ बिगड़ने से परेशान रहे।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में तेजी से बढ़ती विमान सेवा मांग के बीच एयरलाइंस को अपनी परिचालन क्षमता का लगातार आकलन करना चाहिए। उनका कहना है कि किसी भी बड़ी एयरलाइन में बार-बार उड़ानें रद्द होना न केवल यात्रियों की यात्राएं प्रभावित करता है, बल्कि उद्योग की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है। सरकार की चेतावनी के बाद अब निगाहें इंडिगो पर हैं कि वह इस संकट से कितनी जल्दी उबर पाती है।

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