Thursday, October 23, 2025

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200 करोड़ के घोटाले में घिरी मदुरै की मेयर इंद्राणी पोनवासंत ने दिया इस्तीफा, प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप

मदुरै।
तमिलनाडु के मदुरै नगर निगम में करीब 200 करोड़ रुपये के संपत्ति कर घोटाले का मामला सामने आने के बाद शहर की मेयर और सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी की नेता इंद्राणी पोनवासंत ने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारण बताई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस्तीफे के पीछे इस बड़े घोटाले का दबाव है, जिसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला वर्ष 2022 से 2024 के बीच हुआ, जब नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने करीब 150 वाणिज्यिक भवनों के संपत्ति कर का कम मूल्यांकन किया। आरोप है कि संबंधित अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए निगम को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

मेयर इंद्राणी के पति पोन वसंत को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्हें हाल ही में जमानत मिली है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंद्राणी पोनवासंत ने अब तक इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है और मीडिया से भी दूरी बनाए रखी है।

अब तक इस मामले में नगर निगम के पूर्व सहायक आयुक्त समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। घोटाले का खुलासा पिछले वर्ष हुए एक नियमित ऑडिट के दौरान हुआ था। इसके बाद तत्कालीन मदुरै निगम आयुक्त दिनेश कुमार ने 6 सितंबर 2024 को पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी।

जांच में सामने आया कि निगम के स्थायी और अनुबंधित कर्मचारियों के साथ कुछ बिचौलियों का नेटवर्क मिलकर सॉफ्टवेयर सिस्टम में कर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर रहा था। इस प्रक्रिया में वरिष्ठ अधिकारियों को बिना बताए कर की देनदारी कम की जा रही थी।

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने इस वर्ष जुलाई 2025 में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिरीक्षक (दक्षिण क्षेत्र) और मदुरै पुलिस आयुक्त को एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया था। अदालत के निर्देश पर डीआईजी अभिनव कुमार के नेतृत्व में यह विशेष जांच इकाई बनाई गई, जो फिलहाल मामले की गहराई से जांच कर रही है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मदुरै निगम के सभी चार क्षेत्रीय अध्यक्षों को पद छोड़ने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

AIADMK पार्षद द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि डीएमके शासित निगम में व्यवस्थित भ्रष्टाचार फैला हुआ है, जिससे जनता के धन को भारी नुकसान हुआ है। याचिका दाखिल होने के बाद से ही यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है।

अब सभी की निगाहें एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर हैं, जिससे यह तय होगा कि क्या मेयर इंद्राणी पोनवासंत केवल राजनीतिक दबाव में इस्तीफा देने को मजबूर हुईं या वास्तव में इस घोटाले की परतों में उनकी भूमिका भी छिपी है।

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