अमेरिकी टैरिफ के संभावित असर को हर लिहाज से परख रही भारत सरकार ने चीन, वियतनाम और थाईलैंड से संभावित आयात वृद्धि पर नियंत्रण के उद्देश्य से अंतरमंत्रालयी समूह बनाया है। वहीं, दोहरी रणनीति के तहत वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू निर्यातकों के लिए नए अवसर तलाशने की कवायद भी तेज कर दी है। इस क्रम में 20 देशों के साथ बातचीत की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसी आशंका है कि उच्च टैरिफ के कारण अमेरिका को निर्यात घटने से चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अपना माल भारत में खपाने की कोशिश करेंगे। इससे उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और स्टील आदि के आयात में वृद्धि हो सकती है। इसी पर निगरानी के लिए आयात निगरानी समूह बनाया गया है जिसमें वाणिज्य, राजस्व विभाग और उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अधिकारी शामिल होंगे। हालांकि, सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ की वजह से भारत अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है। लेकिन 26% जवाबी टैरिफ के कारण कुछ क्षेत्रों में अमेरिका को भारतीय निर्यात घटने की आशंका जताई जा रही है। निर्यातकों की चिंताएं देखते हुए सरकार नया बाजार तलाशने में भी उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय यूरोपीय संघ, ओमान, न्यूजीलैंड और यूके के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों के जरिये इसका समाधान निकालने में जुटा है।
भारत सरकार ने निर्यात के नए बाजार तलाशने के लिए विशेष तौर पर जिन 20 देशों की पहचान की है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूएई, यूके, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को इन देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की शृंखला आयोजित करने का निर्देश दिया है। अमेरिका ने वियतनाम पर 46 फीसदी, चीन पर 34 फीसदी और इंडोनेशिया पर 32 फीसदी और थाईलैंड पर 36 फीसदी टैरिफ लगाया है। इसकी वजह से भारत में इनके आयात बढ़ने का स्पष्ट असर जून-जुलाई में दिखने के आसार हैं। सूत्रों ने बताया कि हवाई और समुद्री मार्गों से आने वाले शिपमेंट सहित हर डाटा पर अंतर-मंत्रालयी समूह की नजर रहेगी। संबंधित मंत्रालयों और उद्योग संघों से आयात में वृद्धि और घरेलू उद्योग पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी देने को कहा गया है। वाणिज्य मंत्रालय सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करके निर्यातकों का समर्थन करने के लिए अपने निर्यात संवर्धन मिशन के निर्माण को भी तेजी से आगे बढ़ा रहा है। सरकार ने आम बजट में देश का निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य के साथ 2,250 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक निर्यात संवर्धन मिशन की स्थापित करने की घोषणा की थी।
अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के जरिये टैरिफ वार का समाधान निकालने की कोशिशें पहले ही तेज की जा चुकी हैं। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्तूबर तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, यह समझौता होने की स्थिति में ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत और आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। सरकार एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने के अलावा फैक्टरिंग सेवाओं को मजबूत करके वैकल्पिक वित्तपोषण साधनों को बढ़ावा देने और अन्य देशों के लगाए गैर-टैरिफ उपायों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है। निर्यात संवर्धन मिशन के तहत तैयार इन योजनाओं पर वाणिज्य, एमएसएमई और वित्त मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।