Wednesday, November 12, 2025

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1971 के बाद पहली बार बांग्लादेश पहुंचा पाक युद्धपोत, यूनुस ने किया स्वागत — भड़की देश की जनता, उठे तीखे सवाल

ढाका।
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार पाकिस्तान का एक युद्धपोत बांग्लादेश के चट्टग्राम बंदरगाह पर पहुंचा, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में नई हलचल पैदा हो गई है। पाकिस्तानी युद्धपोत ‘पीएनएस तबरुक’ के इस दौरे को दोनों देशों के बीच “सामरिक सद्भाव और समुद्री सहयोग” के प्रतीक के रूप में बताया जा रहा है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस द्वारा जहाज पर जाकर उसका स्वागत करने के बाद बांग्लादेश की जनता और विपक्षी दलों में तीखी नाराजगी फैल गई है।

जानकारी के अनुसार, पाक युद्धपोत का यह दौरा “नौसैनिक मैत्री मिशन” के तहत तीन दिवसीय है। जहाज के आगमन के दौरान बांग्लादेश नौसेना के अधिकारियों ने औपचारिक सलामी दी, और प्रधानमंत्री यूनुस ने जहाज पर जाकर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत भी की। इस दौरान दोनों देशों के बीच समुद्री प्रशिक्षण, आपदा प्रबंधन और संयुक्त अभ्यास को लेकर चर्चा हुई।

लेकिन जैसे ही यूनुस के स्वागत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, बांग्लादेश में 1971 की यादें ताजा हो गईं। युद्ध के दौरान पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए अत्याचारों को लेकर लोगों की भावनाएं अब भी संवेदनशील हैं। कई नागरिकों ने इसे “राष्ट्रीय अपमान” करार देते हुए कहा कि जिस देश ने लाखों बांग्लादेशियों का नरसंहार किया, उसके युद्धपोत का लाल कालीन से स्वागत कैसे किया जा सकता है।

ढाका विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रो. हसनुर रहमान ने कहा, “यह केवल एक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि ऐतिहासिक घावों को कुरेदने जैसा है। जनता अभी भी 1971 के जख्म भूल नहीं पाई है।”

विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) ने इस कदम को सरकार की “कूटनीतिक भूल” बताते हुए संसद में विरोध जताने की घोषणा की है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि “प्रधानमंत्री यूनुस ने राष्ट्र की भावनाओं के खिलाफ जाकर पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश की है।”

दूसरी ओर, सरकारी सूत्रों ने सफाई देते हुए कहा कि इस दौरे का उद्देश्य किसी राजनीतिक या ऐतिहासिक विवाद को नहीं, बल्कि क्षेत्रीय समुद्री सहयोग को बढ़ावा देना है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “यह यात्रा नौसैनिक आदान-प्रदान और आपसी समझ बढ़ाने के लिए है, और इसका अतीत से कोई संबंध नहीं है।”

फिर भी, जनभावनाओं को देखते हुए सोशल मीडिया पर ‘NoPakWarshipInBD’ ट्रेंड करने लगा है। हजारों लोगों ने ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान को पहले 1971 के युद्ध अपराधों के लिए माफी मांगनी चाहिए, तभी किसी भी स्तर पर सहयोग संभव है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा बांग्लादेश की विदेश नीति में एक ‘संतुलनकारी प्रयोग’ का संकेत देता है, जहां वह भारत और चीन दोनों के साथ अपने रिश्तों को साधते हुए पाकिस्तान से भी सीमित स्तर पर संवाद बनाए रखना चाहता है।

हालांकि, आम जनता की प्रतिक्रिया स्पष्ट है — 1971 का दर्द अब भी बांग्लादेश की आत्मा में जिंदा है, और ऐसे में किसी पाक युद्धपोत का स्वागत करना अब भी अधिकांश लोगों के लिए स्वीकार्य नहीं है।

 

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