वॉशिंगटन।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक ऐतिहासिक पल दर्ज होने जा रहा है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा आज अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन पहुंच रहे हैं, जहां वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि 1946 के बाद पहली बार किसी सीरियाई नेता ने अमेरिका की धरती पर कदम रखा है।
यह उच्चस्तरीय बैठक दोनों देशों के बीच 78 वर्षों से जमी बर्फ पिघलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका और सीरिया के संबंधों में तनाव बना रहा है, और पिछले एक दशक में सीरियाई गृहयुद्ध तथा प्रतिबंधों के कारण दोनों देशों के बीच संवाद पूरी तरह ठप हो गया था।
व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि ट्रंप और अल-शरा के बीच होने वाली यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों के नए युग की शुरुआत हो सकती है। दोनों नेता सीरिया में जारी पुनर्निर्माण कार्य, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और मध्य पूर्व में स्थिरता बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, अहमद अल-शरा ने इस यात्रा को “शांति और साझेदारी की दिशा में नया अध्याय” बताया है। उन्होंने कहा कि सीरिया अब संघर्ष से बाहर निकलकर स्थिरता और विकास की ओर बढ़ना चाहता है, और इस प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में मानवाधिकार, शरणार्थी संकट, और सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों में संभावित नरमी जैसे संवेदनशील मुद्दे भी उठ सकते हैं। अमेरिका की ओर से यह भी उम्मीद जताई गई है कि सीरिया क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुलाकात केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए एक राजनीतिक संकेत है। इससे यह संदेश जा रहा है कि अमेरिका अब पश्चिम एशिया में अपनी नीति को नए सिरे से आकार दे रहा है।
इतिहास के पन्नों में झांकें तो, 1946 में सीरिया की स्वतंत्रता के बाद से किसी भी सीरियाई राष्ट्रपति ने अमेरिका का दौरा नहीं किया था। दोनों देशों के बीच संबंध 2012 में तब पूरी तरह टूट गए थे जब वॉशिंगटन ने दमिश्क में अपना दूतावास बंद कर दिया था।
अब, अहमद अल-शरा की यह यात्रा न केवल सात दशकों से जमे वैर भाव को पिघलाने की कोशिश है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि सीरिया अंतरराष्ट्रीय मुख्यधारा में अपनी वापसी की राह तलाश रहा है।
बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किए जाने की संभावना है, जिसमें आगामी महीनों के सहयोग ढांचे का खाका प्रस्तुत किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब इस ऐतिहासिक मुलाकात पर टिकी हैं, जो मध्य पूर्व की राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत कर सकती है।





