अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश के खिलाफ 19 डेमोक्रेटिक शासित राज्यों ने गुरुवार को मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावों में बदलाव लाने के प्रयास के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश के खिलाफ दायर किया गया है, जिसमें चुनावों से संबंधित नई आवश्यकताएं पेश की गई हैं। राज्यों के अटॉर्नी जनरलों ने ट्रंप के इस आदेश को चुनावों को चलाने के अधिकार पर असंवैधानिक हमला बतलाया है। बता दें कि यह मुकदमा ट्रंप द्वारा एक सप्ताह पहले जारी किए गए कार्यकारी आदेश के खिलाफ चौथा मुकदमा है। इस आदेश में कुछ नई शर्तें हैं, जिनमें पंजीकरण करते समय नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करना और सभी मेल-इन मतपत्रों को चुनाव के दिन तक प्राप्त करने की मांग की गई है। मामले में राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने अदालत में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के पास इस तरह के आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने इसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और गैर-अमेरिकी करार दिया। उन्होंने ये भी कहा कि ट्रंप का यह आदेश अमेरिकी चुनाव प्रणाली में सुरक्षा की आवश्यकता पर आधारित है, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका इस मामले में विफल रहा है। हालांकि, चुनाव अधिकारियों ने कहा कि हाल के चुनाव अमेरिकी इतिहास में सबसे सुरक्षित रहे हैं और इन चुनावों में किसी भी प्रकार की व्यापक धोखाधड़ी का कोई संकेत नहीं मिला, जिसमें 2020 का चुनाव भी शामिल है, जिसमें ट्रंप को जो बिडेन से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं अब बात अगर इस मामले में ट्रंप के द्वारा बताए गए कारणों की करें तो उनका मानना है कि उनका ये आदेश गैर-नागरिकों द्वारा अवैध मतदान को रोकने के लिए है, हालांकि विभिन्न अध्ययन और जांचें यह साबित करती हैं कि ऐसा बहुत कम होता है। इस आदेश को कुछ रिपब्लिकन राज्यों के चुनाव अधिकारियों ने सराहा है, जिन्होंने इसे मतदाता धोखाधड़ी को रोकने का एक तरीका बताया है।इसके साथ ही इस आदेश में यह भी कहा गया है कि चुनाव दिवस के बाद प्राप्त होने वाले किसी भी मेल-इन या अनुपस्थित मतपत्र को बाहर किया जाए, और यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी इसका पालन नहीं करते, तो उनका संघीय वित्तपोषण खतरे में डाल दिया जाएगा। कुछ राज्य चुनाव दिवस तक मतपत्रों की गिनती करते हैं और मतदाताओं को त्रुटियां सुधारने का मौका देते हैं।