श्रीलंका में अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके सामने कई चुनौतियां हैं। चंद हफ्ते पहले राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद दिसानायके अजीबो-गरीब सियासी घमासान से जूझ रहे हैं। दरअसल, देश के पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले विशेषाधिकार को लेकर विवाद हो रहा है। कथित तौर पर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में भी कटौती की गई है। इस मुद्दे पर दिसानायके की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में कोई कटौती नहीं की गई है। इस संबंध में प्रसारित हो रहीं तमाम मीडिया रिपोर्ट्स झूठी और भ्रामक हैं।शुक्रवार को (श्रीलंका के समय) जारी बयान के मुताबिक राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से यह बयान उस समय जारी किया गया जब पूर्व राष्ट्रपतियों ने दिसानायके के कार्यकाल में होने वाले संभावित फैसले को लेकर चिंता जताई। खबरों के मुताबिक राष्ट्रपति दिसानायके के नेतृत्व में नई श्रीलंकाई सरकार पूर्व राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकारों में कटौती करेगी।इस संबंध में आई खबरों के मुताबिक श्रीलंका की नई कैबिनेट से जुड़ी एक उप-समिति जल्द ही देश के पूर्व राष्ट्रपतियों को दिए गए विशेषाधिकारों की समीक्षा करेगी। राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक दिसानायके के नेतृत्व में सरकार इस मामले पर भविष्य की कार्रवाई समिति की तरफ से की गई सिफारिशों के आधार पर ही करेगी।
बता दें कि बीते 21 सितंबर को श्रीलंकाई राष्ट्रपति बनने पर दिसानायके ने पूर्व राष्ट्रपतियों के सभी विशेषाधिकारों को रोकने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा था पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाली सुविधाएं और विशेषाधिकार देश के करदाताओं पर बोझ हैं।
विपक्षी राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति दिसानायके को आड़े हाथों लिया है। महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में किसी भी तरह की चूक के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए विपक्ष ने कहा, दशकों पुराने सैन्य अभियान को समाप्त करने के कारण लिट्टे अलगाववादियों से राजपक्षे को अब भी खतरा बना हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भी एक चुनावी रैली में पूर्व राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकारों में कटौती करने के वर्तमान सरकार के प्रयास की आलोचना की। बता दें कि श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति या उनकी विधवाओं को 1986 के राष्ट्रपति विशेषाधिकार अधिनियम के तहत विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं। फिलहाल, सुविधा पाने वाली ऐसी छह हस्तियां जीवित हैं।