Sunday, March 16, 2025

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17 साल में तीसरी बार टूटा गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब को जोड़ने वाला पुल

गोविंदघाट क्षेत्र आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील रहा है। पिछले 17 सालों में यहां पर अलकनंदा नदी पर बने पुल तीन बार टूट चुके हैं। इससे जहां एक तरफ हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्रियों और फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों को परेशानी उठानी पड़ती है वहीं पुलना के ग्रामीणों के लिए भी यह बड़ी समस्या बन जाता है। बुधवार को जब अचानक गोविंदघाट में बना पुल भूस्खलन की जद में आने से धराशायी हो गया तो यहां पर पिछले सालों में आई आपदाओं का मंजर भी आंखों के सामने आ गया। पिछले 17-18 सालों में आपदा से यहां बड़ी तबाही हुई हैं। बार-बार पुल टूटने से हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्री खासे परेशान रहे हैं। 2013 की आपदा हो या उससे पहले 2007 में आई आपदा, सभी ने इस क्षेत्र को काफी जख्म दिए हैं। जिनसे उबरने में काफी समय लग जाता है। हर बार जब भी पुल टूटते हैं तो पुलना के ग्रामीणों का जीवन गांव तक ही सीमित रह जाता है।पुलना गांव में वर्तमान में 101 परिवार निवास करते हैं। ग्रामीण इसी पुल से आवाजाही करते थे। पुल टूटने से ग्रामीणों के सामने आवाजाही का संकट गहरा गया है। पुलना वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित गांव है। उस समय लक्ष्मण गंगा में बाढ़ आने से गांव तबाह हो गया था।

ग्रामीण आपदा से उबरे ही थे कि अब पुल टूटने से आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। दैनिक जरूरतों को पूरा करना के साथ ही गांव में शादी विवाह को संपन्न कराना भी उनके बड़ी चुनौती रहेगा। अप्रैल में पुलना गांव में दो शादियां होनी हैं, जबकि एक महिला की डिलीवरी भी होनी है। ऐसे में अब लोग इसको लेकर चिंतित हो गए हैं।

पुलना के आशीष चौहान ने बताया कि पुल टूटने से गांव का संपर्क बाकी क्षेत्रों से टूट गया है। लोग कैसे आवाजाही करेंगे, जरूरी कामों के लिए किस तरह से नदी के दूसरी तरफ जाएंगे यह सबसे बड़ी चिंता है। अप्रैल में गांव में दो शादियां हैं। एक युवक की शादी है जिसमें बरात बाहर जाएगी, जबकि एक युवती की शादी है जिसमें बाहर से बरात गांव में आएगी। ऐसे में यदि समय पर कोई व्यवस्था नहीं हो पाती है तो शादियों को संपन्न कराने में भारी दिक्कतें आ जाएंगी। वहीं गांव की आशा सुपरवाइजर हेमंती देवी ने बताया कि पुलना में अप्रैल माह में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी होनी है।

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