Wednesday, July 2, 2025

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16 साल बाद जनगणना की अधिसूचना आज, पहली बार डिजिटल और जातिगत गिनती के साथ होगी शुरुआत

35 लाख से अधिक कर्मी करेंगे मोबाइल एप से काम, 16 भाषाओं में उपलब्ध होगी एप्लीकेशन
नई दिल्ली। देश की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद की 8वीं जनगणना की आधिकारिक अधिसूचना आज सोमवार को जारी की जाएगी। यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी—पहली बार यह पूरी तरह डिजिटल होगी और इसके साथ ही जातिगत गणना को भी आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा।
रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस जनगणना की तैयारियों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
सरकारी जानकारी के अनुसार, इस बार जनगणना के लिए एक विशेष मोबाइल एप विकसित किया गया है, जो 16 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। इसी एप के माध्यम से गणक और सुपरवाइजर जनगणना संबंधी सभी जानकारी डिजिटल रूप से एकत्र करेंगे। साथ ही नागरिकों को स्व-गणना (Self Enumeration) की भी सुविधा दी जाएगी।

डिजिटल जनगणना: एक नया अध्याय

इस बार जनगणना में शामिल होंगे:
• 34 लाख गणक और सुपरवाइजर
• 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी
• मोबाइल और डिजिटल डिवाइस से लैस टीमें
• उन्नत डेटा सुरक्षा के साथ सूचना संग्रह, संचरण और भंडारण

शुरुआत की समयरेखा

• जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जनगणना की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से
• शेष भारत में जनगणना का कार्य 1 मार्च 2027 से जनगणना दो चरणों में
1. मकान सूचीकरण और गणना (HLO):
प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, उपलब्ध सुविधाओं आदि की जानकारी दर्ज की जाएगी।
2. जनसंख्या गणना:

हर व्यक्ति का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व जनसांख्यिकीय विवरण दर्ज किया जाएगा।
यह जनगणना 2011 के बाद पहली बार हो रही है—यानि 16 वर्षों के अंतराल के बाद। कोविड महामारी के चलते इस प्रक्रिया में बार-बार देरी हुई, लेकिन अब सरकार ने इसे डिजिटल और समावेशी स्वरूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
जातिगत आंकड़े पहली बार
अमित शाह ने सोशल मीडिया पर बताया कि इस बार जनगणना में पहली बार जातिगत गिनती को भी आधिकारिक रूप से शामिल किया गया है, जिससे सामाजिक योजनाओं के निर्धारण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा सकेगा।

डिजिटल माध्यम से, कई भाषाओं में और सुरक्षित डेटा प्रबंधन के साथ—यह जनगणना भारत के लिए केवल एक जनसांख्यिकीय अभ्यास नहीं, बल्कि तकनीकी और सामाजिक बदलाव का प्रतीक होगी।

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