Thursday, March 20, 2025

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13KM अंदर फंसे आठ श्रमिक, कई फीट तक भरा कीचड़ बनी बाधा

तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से आठ मजदूर अंदर फंस गए हैं और उन्हें बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान बड़े पैमाने पर जारी है। लेकिन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में बचाव अभियान को रविवार सुबह बड़ा झटका लगा है। जब राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमों के सामने सुरंग के ढह चुके हिस्से तक पहुंचने में बड़ी दिक्कतें खड़ी हो गई। बचाव अभियान की जानकारी देते हुए, एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं है। छत ढह जाने से अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है और घुटनों तक कीचड़ भी भरा हुआ है। इसके बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अन्य बचाव दल, सिंगरेनी कोलियरीज के अधिकारियों के साथ सुरंग के ढह चुके हिस्से का निरीक्षण करने के बाद वापस लौट गए।

वहीं सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकाले के दूसरे कई प्रयासों पर काम हो रहा है। मामले में तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं। पीटीआई के मुताबिक, शनिवार सुबह टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से अधिक लोग सुरंग के अंदर गए थे। वे टनल के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, इसी दौरान पानी के तेज बहाव के चलते सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया। इस दौरान मशीन के आगे चल रहे 2 इंजीनियर समेत छह मजदूर वहां फंस गए, जबकि 42 कर्मचारी सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर निकलने में सफल रहे। बताया जा रहा है कि अचानक पानी के साथ मिट्टी बहकर आने लगी और सुरंग का ऊपरी हिस्सा ढह गया।

एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने कहा, “कल रात करीब 10 बजे हम स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सुरंग के अंदर गए। सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से हमने 11 किलोमीटर लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय किया। जब हम टीएमनी (टनल बोरिंग मशीन) के अंत में पहुँचे, तो हमने फँसे हुए श्रमिकों से उनके नाम पुकारकर संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन हमें कोई आवाज सुनाई नहीं दी। मलबे से 200 मीटर का पैच भरा हुआ है। जब तक इस मलबे को साफ नहीं किया जाता, हम फँसे हुए श्रमिकों का सही स्थान नहीं जान पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएँगे। सुरंग के 11-13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा साफ करने का काम शुरू नहीं होगा। हमारी पहली टीम कल शाम करीब 7 बजे यहां पहुंची। फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है।

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