ढाका/नई दिल्ली: बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग) किए जाने के मामले में ढाका और नई दिल्ली के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस जघन्य अपराध को एक “अलग-थलग घटना” (Isolated Incident) करार दिया है। इसके साथ ही बांग्लादेश ने इस मामले पर भारत सरकार द्वारा जताई गई आधिकारिक चिंता और कड़े विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इसे सांप्रदायिक रंग न दिया जाए।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में बांग्लादेश के एक जिले में भीड़ ने एक हिंदू व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी बेरहमी से पिटाई की थी, जिससे उसकी मौत हो गई।
- हिंसा का दौर: तख्तापलट और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं और उनके मंदिरों को निशाना बनाने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।
- लिंचिंग की घटना: प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ ने कानून को हाथ में लेकर इस व्यक्ति की जान ले ली, जबकि प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।
भारत का कड़ा रुख और विरोध
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी।
- सुरक्षा की मांग: भारत ने बांग्लादेश सरकार से मांग की थी कि वहाँ रह रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
- राजनयिक संदेश: नई दिल्ली ने स्पष्ट किया था कि पड़ोसी देश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के कारण भारत में गहरी चिंता और आक्रोश का माहौल है।
बांग्लादेश का आधिकारिक जवाब
भारत की चिंताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
- भारत के दावों को नकारा: बांग्लादेशी अधिकारियों का कहना है कि इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह कानून-व्यवस्था से जुड़ी एक सामान्य समस्या थी, न कि अल्पसंख्यकों को लक्षित कर किया गया हमला।
- हस्तक्षेप न करने की सलाह: ढाका ने संकेत दिया कि यह उनका आंतरिक मामला है और वे इसे सुलझाने में सक्षम हैं, अतः बाहरी देशों को इस पर प्रतिक्रिया देने में संयम बरतना चाहिए।
“अल्पसंख्यकों पर हमले की बातों में कोई सच्चाई नहीं है। यह एक अलग-थलग आपराधिक घटना थी जिसे सांप्रदायिक मुद्दा बनाया जा रहा है। हम अपराधियों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई कर रहे हैं।” — बांग्लादेश अंतरिम सरकार के प्रतिनिधि
जमीनी हकीकत और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट
भले ही सरकार इसे ‘अलग-थलग’ बता रही हो, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने रिपोर्ट दी है कि तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों में तेजी आई है। कई हिंदू परिवारों को डराया-धमकाया गया है और उनकी संपत्तियों पर कब्जे की कोशिशें हुई हैं।




