Friday, July 11, 2025

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हाइब्रिड कारों पर टैक्स छूट का फैसला टला, टाटा और महिंद्रा ने जताया विरोध, सरकार कर रही पुनर्विचार

उत्तराखंड सरकार द्वारा हाइब्रिड कारों को वाहन कर में 100% छूट देने का फैसला फिलहाल रोक दिया गया है। यह फैसला टाटा और महिंद्रा जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियों के विरोध के बाद लिया गया। दोनों कंपनियों ने इसे व्यापार के लिए नुकसानदायक बताते हुए सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की है, जिस पर अब सरकार पुनर्विचार कर रही है।

प्रदेश कैबिनेट ने जून के पहले सप्ताह में उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम में संशोधन कर केंद्र सरकार के मोटरयान (9वां संशोधन) नियम 2023 के तहत प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कारों को वाहन कर में पूरी छूट देने का निर्णय लिया था। यह छूट वित्तीय वर्ष 2025-26 तक के लिए वैध मानी गई थी।

परिवहन विभाग का कहना था कि यूपी समेत कई अन्य राज्य इलेक्ट्रिक वाहनों की तर्ज पर हाइब्रिड कारों को टैक्स छूट दे रहे हैं, जिससे उत्तराखंड में इन कारों का पंजीकरण कम हो रहा है। टैक्स छूट मिलने से पंजीकरण उत्तराखंड में होता और राज्य को 28% से 43% तक का जीएसटी मिलता। एक अनुमान के अनुसार, छूट लागू होने के बाद हाइब्रिड कारों के पंजीकरण की संख्या 750 से बढ़कर 2000 से अधिक हो सकती थी।

टोयोटा, मारुति और होंडा जैसी कंपनियां हाइब्रिड कारें बनाती हैं, लेकिन टाटा और महिंद्रा इस तकनीक में पीछे हैं। इन दोनों कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड कारों को टैक्स में बढ़त मिलने से ग्राहकों का रुझान उनकी इलेक्ट्रिक कारों से हट जाएगा, जिससे उनके व्यापार पर असर पड़ेगा। साथ ही, इन दोनों कंपनियों ने उत्तराखंड में भारी निवेश कर रखा है और इस निर्णय से उनकी कारोबारी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

राज्य सरकार कंपनियों की आपत्ति को गंभीरता से ले रही है। ऐसे संकेत हैं कि इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में रद्द किया जा सकता है। फिलहाल इस पर उच्चस्तरीय विचार-विमर्श चल रहा है।

जहां एक ओर टैक्स छूट से उपभोक्ताओं को राहत और राज्य को जीएसटी लाभ मिलने की संभावना थी, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक कंपनियों की आपत्ति ने सरकार को कठिन निर्णय की स्थिति में ला दिया है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार किस दिशा में फैसला लेती है — उपभोक्ता हित या स्थानीय निवेश सुरक्षा?

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