Sunday, December 21, 2025

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हसीना की आवामी लीग के रैली के एलान पर भड़की सरकार

बांग्लादेश की सियासी गलियारों में लगातार हलचल मची हुई है। अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के तीन महीने बाद उनकी पार्टी अवामी लीग ने रविवार को ढाका में मौजूदा सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन रैली का आह्वान किया। इस पर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भड़क उठी और आवामी लीग को ‘फासीवादी’ करार देते हुए बांग्लादेश में रैली की इजाजत देने से इनकार कर दिया।

दरअसल, अगस्त में छात्रों के विद्रोह के बाद से अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों का सामना करते हुए पूर्ववर्ती सत्तारूढ़ पार्टी अपने अधिकांश शीर्ष नेतृत्व के जेल में या निर्वासन में रहने के कारण फिर से संगठित होने और अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है। इसी के चलते पार्टी ने रविवार यानी 10 नवंबर को ढाका में विरोध मार्च का आह्वान किया। सरकार ने कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को रविवार को प्रस्तावित रैली को आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर शनिवार को कहा कि अंतरिम सरकार देश में किसी भी तरह की हिंसा या कानून व्यवस्था को भंग करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगी।

आलम ने कहा कि अवामी लीग अपने मौजूदा स्वरूप में एक फासीवादी पार्टी है। किसी भी सूरत में इस फासीवादी पार्टी को बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही चेतावनी दी कि जो भी व्यक्ति रैली, सभा और जुलूस आयोजित करने की कोशिश करेगा, उसे कानून लागू करने वाली एजेंसियों की पूरी सख्ती का सामना करना पड़ेगा।

आलम का यह बयान अवामी लीग की ओर से उस आह्वान के बाद आया, जिसमें पार्टी समर्थकों से रविवार को गुलिस्तान में शहीद नूर हुसैन छत्तर या जीरो पॉइंट पर ‘कुशासन’ के खिलाफ विरोध के लिए एकत्र होने का आग्रह किया गया है। यह कदम पिछले महीने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा छात्र संघ की छात्र शाखा पर प्रतिबंध लगाने के बाद उठाया गया है।

हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। उनके भारत जाने के बाद अवामी लीग द्वारा रैली का यह पहला आह्वान है। अवामी लीग ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि रविवार को देशभर में जमीनी स्तर पर रैलियां आयोजित करें। विरोध स्थल ‘शहीद नूर हुसैन छत्तर’ ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यहीं पर 10 नवंबर, 1987 को तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल एचएम इरशाद के निरंकुश शासन के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान अवामी लीग के युवा नेता नूर हुसैन की हत्या कर दी गई थी।

 

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